क्योंकि काकोरी ट्रेन कार्रवाई में शामिल पंड़ित रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खां, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी और रोशन सिंह को अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ा दिया था और उनके साथ ही 17 क्रांतिकारियों को जेल की सजा हुई थी। किरणजीत सिंह संधू ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मांग की कि इस ऐतिहासिक ट्रेन को कोरोनाकाल से बंद पड़ी है, इसे चालू कराया जाए।
यह ट्रेन नंबर 54252 सुबह 8.30 बजे सहारनपुर से लखनऊ के लिए चलती थी। सौ साल से भी ज्यादा वर्षों से चलने वाली इस ट्रेन को बंद किया जाना क्रांतिकारियों को भुलाना जैसा है। उन्होंने रेल मंत्री से पुरजोर मांग की कि वह इस ट्रेन को तत्काल फिर से शुरू कराएं। उन्होंने कहा कि आज भारत और उसके 140 करोड़ लोग इन्हीं क्रांतिकारियों के बलिदान के कारण आजादी का जीवन जी रहे हैं। किरणजीत सिंह संधू ने कहा कि 4 फरवरी 1922 में गोरखपुर के चोराचोरी गांव के एक थाने को क्रांतिकारियों ने आग लगा दी थी। जिसमें 23 पुलिसकर्मियों की जलने से मौत हो गई थी।
इस घटना से नाराज महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था। उसकी प्रतिक्रिया में देश के क्रांतिकारियों को स्वतंत्रता संग्राम की लौ प्रज्जवलित रखने के लिए मैदान में कूदने को मजबूर होना पड़ा था और काकोरी कांड उसी श्रृंखला का एक हिस्सा है। उस कांड की याद इस सहारनपुर-लखनऊ यात्री गाड़ी से जुड़ी हुई है जिसकों जीवंत रखने की जिम्मेदारी निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आती है और उन्हें पहल करते हुए रेल मंत्री को इस ट्रेन को पुनः शुरू करने का निर्देश देना चाहिए।