लखनऊ। अगले कुछ दिनों में वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) स्वीकार कर बिजली दर की सुनवाई के नियामक आयोग की घोषणा से पहले उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष से मुलाकात कर उपभोक्ताओं के सरप्लस 33122 करोड के एवज में अगले पांच वर्षों तक आठ प्रतिशत बिजली दरों कमी के लिए प्रस्ताव दाखिल किया है।
उपभोक्ता परिषद ने आंकडों के हवाले से कहा कि जब उपभोक्ताओं को फिक्स यानी सुचार बिजली आपूर्ति नहीं हो पा रही है तो घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं से फिक्स चार्ज की वसूली समाप्त होनी चाहिये।
परिषद के अध्यक्ष अवेधश वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों की तरफ से 30 नवंबर 2023 को वर्ष 2024 -25 के लिए
रुपया 101784 करोड की दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता ( एआरआर) को जहां विद्युत नियामक आयोग एक-दो दिन में स्वीकार करने जा रहा है। उसके बाद बिजली दर की सार्वजनिक सुनवाई शुरू होगी। दो दिन पहले विद्युत नियामक आयोग और पावर कारपोरेशन के बीच में टेक्निकल वैलिडेशन सेशन की बैठक हो चुकी है।
उन्होने कहा कि बतौर बिजली मामलों की राज्य सलाहकार समिति के सदस्य वह आज विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन अरविंद कुमार से मिले और एक जनहित प्रस्ताव सौंप कर कहा कि इस वर्ष प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी होना चाहिए क्योंकि लंबे समय से प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर जो लगभग 33122 करोड रूपया सरप्लस निकल रहा है उसका हिसाब नहीं हुआ है। अब समय आ गया है विद्युत नियामक आयोग या तो एक साथ लगभग 40 प्रतिशत बिजली दरों में कमी करें या फिर अगले पांच वर्षों तक लगातार आठ प्रतिशत प्रत्येक वर्ष बिजली दरों में कमी करके प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का हिसाब बराबर करे।
वर्मा ने कहा कि प्रदेश का विद्युत उपभोक्ता इसको लेकर लंबे समय से आयोग आयोग से संवैधानिक निर्णय की अपेक्षा कर रहा है। विद्युत उपभोक्ताओं की या सर प्लस धनराशि विद्युत नियामक आयोग द्वारा निकाली गई है इसलिए उसका हिसाब तत्काल कराया जाना जरूरी है। वही प्रदेश की बिजली कंपनियां इस वर्ष बिजली दरों में बढोतरी के लिए अभी से तैयारी में जुटी है लेकिन उपभोक्ता परिषद उन्हें कामयाब नहीं होने देगा।
उन्होने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियों का जो सिस्टम है वह ओवरलोड है और वह गर्मी के महीना में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को सुचार विद्युत आपूर्ति नहीं दे पा रहा है। भीषण गर्मी में उपभोक्ता अपने स्वीकृत भार का शत प्रतिशत उपभोग कर रहा है तो पावर कारपोरेशन का सिस्टम कांपने लग रहा है। प्रदेश की बिजली कंपनियों के सिस्टम के भार में लगभग दो करोड किलोवाट का अंतर है वही 33 केवी सब स्टेशनो की बात करे तो उसकी क्षमता लगभग 59 हजार से 60 हजार एमवीए के ही बीच है जो और कम है। ऐसे में जब उपभोक्ताओं को फिक्स बिजली नहीं उपलब्ध कराई जा रही है तो उनसे फिक्स चार्ज की वसूली बंद की जाए।