Friday, September 20, 2024

एससी एसटी आरक्षण में क्रीम लेयर व उप वर्गीकरण अध्यादेश के विरोध में बसपाईयों ने निकाला पैदल मार्च

शामली: बुधवार को बसपा के सैकडों पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी एसटी आरक्षण में क्रीम लेयर व उप वर्गीकरण अध्यादेश के विरोध में पैदल मार्च निकालकर देश के राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन डीएम रविन्द्र सिंह को सौंपा। बसपा पदाधिकारियों ने इस दौरान जमकर नारेबाजी की और दिए गए फैसले पर पुनः विचार करने की मांग की।

 

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बुधवार को बसपा जिलाध्यक्ष सुनील जाटव, जगपाल ननौता, प्रेमचंद गौतम, राकेश पाल, सुशील नहारिया के नेतृत्व में सैकडों की संख्या में कार्यकर्ता व पदाधिकारी शहर के टंकी रोड स्थित रविदास मंदिर में एकत्रित हुए। बसपा द्वारा भारत बंद का भी आहवान किया गया था, लेकिन जिले में इसका कोई असर देखने को नही मिला। बसपा पदाधिकारियों ने रविदास मंदिर से पैदल मार्च कलक्ट्रेट तक निकाला। उन्होने जमकर नोरबाजी करते हुए कलक्ट्रेट में प्रवेश किया और राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन डीएम रविन्द्र सिंह को सौंपा।

 

 

दिए ज्ञापन में कहा कि एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी एसटी आरक्षण के उपवर्गीकरण पर सात न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ द्वारा दिये गये फैसले से देश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगो को पुनः उपवर्गीकृत किये जाने की मान्यता प्रदान की गई है। जिसको लेकर और भी बहुत सारी बातें कही गई हैं। उक्त निर्णय से बहुजन समाज पार्टी सहमत नहीं है, और इस संदर्भ मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा देवेंद्र सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले में पारित इस आदेश के अनुसार अब राज्य सरकारें, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के भीतर के लिए उपवर्गीकरण अर्थात् नयी सूची बना सकेंगीर। जिसमे अनेकों समस्यायें उत्पन्न होंगी।

 

कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 अगस्त से 20 वर्ष पूर्व दिये गये निर्णय 2004 में 5 न्यायाधीशों वाली संवैधानिक पीठ द्वारा ईवी चिलैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य में दिये गये फ़ैसले को पलट दिया है। जिस आदेश में अनु. जाति/ अनु.जनजाति के भीतर किए जाने बाले वर्गीकरण को मान्यता देने से इंकार कर दिया था और ये भी कहा था कि अनु.जातियों/ अनु. जनजातियों के भीतर उपवर्गीकरण नहीं किया जा सकता। क्योंकि वे एक ही समरूप अर्थात् समान वर्ग में आते हैं।

 

इसके साथ ही राज्यों के द्वारा यह वर्गीकरण अनुच्छेद 341 एवं 342 के तहत राष्ट्रपति की अधिसूचना का उल्लंघन होने के साथ-साथ यह पूर्ण रूप से असंवैधानिक भी होगा- क्योंकि कोई भी राज्य सरकार राष्ट्रपति की शक्ति को खत्म नहीं कर सकती क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 341 (2) एवं 342 का उल्लंघन होगा और इससे हमेशा यह खतरा बना रहेगा की अनुसूचित जाति व जनजाति को दिया जाने वाला आरक्षण कब खत्म हो जाएगा।

 

इस अवसर पर हरपाल कश्यप, इरफान, मुकेश सैनी, नंद कुमार, गयूर अली, राजबीर, विनोद जयंत, विनोद सैनी, बिजेन्द्र मलिक, राजेन्द्र उपाध्याय, ताहिर राणार, बिजेन्द्र कुमार, अनिल कुमार, सतपाल निर्वाल, नवाब सिंह कश्यप, राजपाल सिंह, वेदप्रकाश भनेडा, राजकुमार, महिपाल जाटव, कर्मवीर, नरेन्द्र, प्रवीन कुमार आदि मौजूद रहे।

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