Monday, November 25, 2024

अनमोल वचन

बहुधा हम वर्तमान में न जी कर भविष्य की चिंता अधिक करते हैं। भविष्य को देखना उसके बारे में सोचना गलत नहीं, किन्तु भविष्य को देखो तो आशा भरी दृष्टि से देखो। आशापूर्ण दृष्टि से देखना उतना ही सरल है जितना निराशा की दृष्टि से देखना। दीर्घ काल तक आनन्द देने वाली वस्तुओं का प्राय: अभाव रहता है। अत: हमें अल्पकालिक आनंद का आनंद लेने का स्वभाव बना लेना चाहिए। संसार की समस्त बुराईयों और दुख का कारण स्वार्थ है। इस बात को जानते हुए भी  हम स्वार्थी बना रहना चाहते हैं। हमें अपने हितों के साथ दूसरे के हितों का ख्याल भी रखना चाहिए। हमें कोई ऐसा कार्य बिल्कुल नहीं करना चाहिए, जो हमारे हितों का संरक्षण तो करता हो, किन्तु उससे दूसरों की हानि होती है। ऐसा करने में हमें कभी सुख का अनुभव हो ही नहीं सकता। हमें यह ज्ञान होना चाहिए कि परमात्मा आनन्द स्वरूप है, आप भी आनन्द स्वरूप है। इसीलिए सदा आनन्दमय रहो, कभी निराशा न हो, सदैव प्रसन्न रहो, हंसते-मुस्कराते रहो, दूसरों को भी हंसाते रहो। याद रखो भय, शोक, चिंता आदि के लिए तुमने जन्म ही नहीं लिया है। विश्वास में दृढ़ता और आशावादिता होगी तो ऐसे में निराशा आयेगी ही नहीं।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय