Sunday, April 13, 2025

केदारनाथ धाम के भैया दूज पर बंद होंगे कपाट,भुकुंट भैरवनाथ के भी हुए,पदाधिकारियों ने किया हवन यज्ञ

नई दिल्ली। केदारनाथ धाम के क्षेत्र रक्षक भुकुंट भैरवनाथ के कपाट विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने भुकुंट भैरवनाथ का आशीर्वाद लिया। केदारनाथ धाम के कपाट आमतौर पर भैया दूज के दिन, जो इस वर्ष 3 नवंबर को है, बंद किए जाते हैं, और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

 

इस साल केदारनाथ धाम में तीर्थ यात्रियों की संख्या 15 लाख से अधिक हो चुकी है, और इन दिनों प्रतिदिन लगभग 19 से 20 हजार श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। यह संख्या दर्शाती है कि इस पवित्र स्थान की धार्मिक महत्ता और श्रद्धालुओं की आस्था कितनी गहरी है। शीतकाल के दौरान केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने से श्रद्धालु अगले मौसम में पुनः दर्शन की अपेक्षा कर रहे हैं।

भैया दूज पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने वाले हैं। इस परंपरा के अनुसार, बाबा केदारनाथ के कपाट बंद होने से पहले भैरवनाथ के कपाट बंद किए जाते हैं। मंगलवार, 29 अक्टूबर को दोपहर 1:30 बजे भगवान केदारनाथ के द्वारपाल रक्षक भुकुंट भैरवनाथ के कपाट विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।

 

इस अवसर पर केदारनाथ मंदिर के पुजारी शिवशंकर लिंग, बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पदाधिकारी, तीर्थ पुरोहित समाज और पंचपंडा समिति के अधिकारी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान भुकुंट भैरवनाथ के जलाभिषेक के बाद पूजा-अर्चना की गई, और भोग समर्पित करने के बाद हवन यज्ञ संपन्न किया गया। इस प्रक्रिया से श्रद्धालुओं ने भैरवनाथ के आशीर्वाद का लाभ उठाया और शीतकाल की तैयारी की।

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भुकुंट भैरवनाथ के कपाट बंद होने के इस खास मौके पर विश्व कल्याण और चारधाम यात्रा के निर्विघ्न समापन के लिए प्रार्थना की गई। इसके बाद, दोपहर 1:30 बजे भगवान भैरवनाथ के कपाट शीतकाल के लिए विधि-विधान से बंद कर दिए गए। शीतकाल के बाद इन कपाटों को पुनः आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोला जाएगा।

केदारनाथ मंदिर के वेदपाठी स्वयंबर सेमवाल ने जानकारी दी कि 1 नवंबर को बाबा केदारनाथ धाम में लक्ष्मी पूजन के साथ दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। उन्होंने सभी भक्तों को दीपावली की शुभकामनाएं दी और बताया कि दीपावली मनाने का शुभ दिन 1 नवंबर है। इस प्रकार, केदारनाथ धाम में धार्मिक गतिविधियों और पर्वों का एक महत्वपूर्ण क्रम जारी है, जो श्रद्धालुओं की आस्था को और मजबूत करता है।

 

 

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