Friday, November 15, 2024

अनमोल वचन

विधि के विधान के अनुसार हमें ऐसा कुछ भी प्राप्त नहीं होगा, जिसके अधिकारी अथवा पात्र हम नहीं होंगे। कर्मफल अकाट्य और सुनिश्चित है, मनुष्य को प्रारब्ध के रूप में जो दुख-सुख, मान-अपमान, हानि-लाभ, यश-अपयश प्राप्त होता है, वह उसके अपने ही पूर्व जन्म अथवा इस जन्म में किये अच्छे-बुरे कर्मों का ही फल है।

 

 

वर्तमान में जिन परिस्थितियों का सामना हम कर रहे हैं उनके लिए स्वयं को यदि हम उत्तरदायी नहीं मानते तो इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं कि इन सब घटनाओं के कारण हम सवयं नहीं हैं।

 

 

सच्चाई तो यह है कि अपने दुख-सुख का कारण हम स्वयं हैं। परमात्मा के विधान को बदलने का सामर्थ्य किसी में भी नहीं, स्वयं परमात्मा में भी नहीं, क्योंकि वे भी उससे बंधे हैं। हम जैसा बोयेंगे वैसा ही काटेंगे। जैसा करेंगे भरेंगे भी वैसा ही।

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