Friday, April 26, 2024

कमलनाथ के गढ़ में डर्टी पॉलिटिक्स की एंट्री

मुज़फ्फर नगर लोकसभा सीट से आप किसे सांसद चुनना चाहते हैं |
लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में अब डर्टी पॉलिक्टिस की एंट्री हो गई है। वैसे यह प्रदेश आमतौर पर इस तरह की राजनीति से हमेशा ही दूर रहा है। खासकर चुनाव जीतने को लेकर इस तरह के हथकंडे यहां नहीं अपनाए जाते। यहां सभी राजनीतिक दल और नेता इसे सुचिता और विचारधारा की लड़ाई में अच्छा नहीं मानते हैं । इस बार कई सीटों पर प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव हो रहे है, ऐसे में एक दूसरे की प्रतिष्ठा को कैसे गिरा कर उसका राजनीतिक फायदा लिया जाए यह खेल इस चुनाव में देखने को मिल रहा है। वह भी ऐसे नेता के क्षेत्र में यह देखने को मिल रहा है, जिसकी कल्पना देश के किसी भी राजनेता ने नहीं की होगी।
कांग्रेस के कद्दावर नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ वैसे तो छिंदवाड़ा लोकसभा से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन यहां के चुनाव में उनकी प्रतिष्ठा पूरी तरह से दांव पर लगी है। उनके बेटे नकुल नाथ इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं और वे कमलनाथ के ही दम पर चुनाव में भाजपा को मजबूत टक्कर देते हुए दिखाई दे रहे हैं।
छिंदवाड़ा के इस चुनाव में डर्टी पॉलिक्टिक्स की तब एंट्री हुई, जब कमलनाथ के सबसे करीबी, उनके राजनीतिक जीवन में हमेशा साथ रहने वाले निज सचिव राजेंद्र कुमार मिगलानी (आरके मिगलानी)पर डर्टी पोलिटिक्स करने पर पुलिस में शिकायत हुई। मिगलानी पिछले चालीस सालों से कमलनाथ की आंख-कान माने जाते हैं। कमलनाथ का पूरा राजनीतिक काम-काज मिगलानी ही देखते हैं। कमलनाथ जब केंद्र में मंत्री थे, तब भी मिगलानी उनके यहां सबसे मजबूत और प्रभावशाली व्यक्ति माने जाते थे। कमलनाथ जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तब भी मिगलानी का मंत्रालय, पुलिस मुख्यालय से लेकर कलेक्टर, पुलिस अधीक्षकों के बीच में खासा बोलबाला रहता था। मध्य प्रदेश में यही माना जाता है कि मिगलानी मतलब कमलनाथ।’
यह था षड्यंत्र
नकुलनाथ को चुनाव में इतना जबरदस्त फंसा हुआ महसूस करने के बाद कमलनाथ के निज सचिव आरके मिगलानी ने एक षडयंत्र रचा। यह षडय़ंत्र मध्य प्रदेश की राजनीति को न सिर्फ दूषित करने वाला , बल्कि कमलनाथ की प्रतिष्ठा पर भी घात करने वाला साबित हो रहा है। मिगलानी के खिलाफ छिंदवाड़ा पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की है। इस एफआईआर के मुताबिक आर के मिगलानी भाजपा के उम्मीदवार विवेक साहू बंटी का एक अश्लील वीडियो वायरल करवाने की साजिश रच रहे थे। इस साजिश में वे उलझ गए और मामला पुलिस तक पहुंच गया। मिगलानी इस वीडियो को वायरल कर भाजपा उम्मीदवार की छवि खराब करना चाहते थे। इस संबंध में विवेक साहू और एक अन्य व्यक्ति ने शिकायत की तो पुलिस ने मिगलानी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया। अब पुलिस मामले की जांच कर रही है। मिगलानी के बयान लेने पुलिस कमलनाथ के बंगले तक पहुंच गई थी।
भाजपा ने घेर दिया कमलनाथ को
दरअसल इस लोकसभा चुनाव में भाजपा ने छिंदवाड़ा सीट जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा इस सीट को जीतने के लिए रणनीति के तहत काम कर रही है। भाजपा के कद्दावर नेता एवं मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को यहां पर तैनात कर रखा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी यहां पर लगातार सभाएं करने पहुंचे। यहां पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी प्रचार करने के लिए आ चुके हैं। इस बीच यहां ऐसा कुछ घटा जिसकी कल्पना भी कमलनाथ ने कभी नहीं की होगी। यहां हमेशा कमलनाथ के साथ रहने वाले कई नेता कांग्रेस छोडकर भाजपा में शामिल हो गए।जिनमें पूर्व विधायक एवं कमलनाथ के करीबी दीपक सक्सेना का जाना कमल नाथ के लिए बहुत बड़ा झटका था।अमरवाड़ा विधानसभा के कांग्रेस विधायक कमलेश शाह ने भी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ली। कमलनाथ के खास माने जाने वाले छिंदवाड़ा के महापौर विक्रम अहाके ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली। इन सबसे कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ यहां पर घिर गए हैं।
विवेक का आरोप एआई का इस्तेमाल कर बनाया वीडियो
भाजपा उम्मीदवार विवेक साहू ने इस वीडियो को लेकर अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि मिगलानी ने एआई का इस्तेमाल कर फर्जी वीडियो बनाया है। इसके बदले में 20 लाख रुपए मांगे। ऐसे फर्जी वीडियो मेरी छवि को धूमिल करने की कोशिश है। हालांकि विवेक साहू का अपना यह बयान हो सकता है, लेकिन वीडियो में कितनी सच्चाई है या यह वीडियो एआई का इस्तेमाल कर बनाया गया है, यह पुलिस जांच में ही पूरी तरह साफ हो सकेंगा।
पार्टी कमलनाथ के साथ
इस मामले में प्रदेश कांग्रेस पूरी तरह से कमलनाथ के साथ खड़ी दिखाई दे रही है। कांग्रेस के सभी नेता कमलनाथ के बंगले पर पुलिस भेजने से भाजपा और सरकार से नाराज है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी कहते हैं कि छिंदवाड़ा में भाजपा हार रही है। कमलनाथ के खिलाफ साजिश रची जा रही है। उनके घर पर प्रशासन का चार घंटे तक रहना लोकतंत्र पर कुठाराघात है।
(पवन वर्मा-विनायक फीचर्स)
(विनायक फीचर्स)लेखक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक हैं।

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