नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए 2 रेजिमेंट आकाश हथियार प्रणाली और 12 हथियारों का पता लगाने वाले राडार स्वाति (मैदानी) खरीदने के लिए 9,100 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। आकाश वेपन सिस्टम को हवाई खतरों से निपटने के लिए चीन की उत्तरी सीमा पर तैनात किया जाना है। भारतीय सेना में उन्नत आकाश वेपन सिस्टम को शामिल करने से शॉर्ट रेंज मिसाइल क्षमता में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
आर्मी एयर डिफेंस की तीसरी और चौथी रेजिमेंट के लिए उन्नत आकाश वेपन सिस्टम की खरीद में अपग्रेड के साथ लाइव मिसाइल और लॉन्चर, ग्राउंड सपोर्ट इक्विपमेंट, वाहन और इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं। यह अनुबंध भारत डायनामिक्स लिमिटेड के साथ 8,160 करोड़ रुपये से अधिक का किया गया है। आकाश वेपन सिस्टम शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (एमआरएसएएम) एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया है।
हवाई खतरों से निपटने के लिए इसे चीन की उत्तरी सीमा पर तैनात किया जाना है। इसमें सीकर टेक्नोलॉजी, कम फुट प्रिंट, 360° इंगेजमेंट क्षमता और बेहतर पैरामीटर हैं। इस परियोजना में फिलहाल कुल 82% स्वदेशी सामग्री है, जिसे 2026-27 तक बढ़ाकर 93% किया जाएगा। भारतीय सेना में उन्नत आकाश वेपन सिस्टम को शामिल करने से शॉर्ट रेंज मिसाइल क्षमता में भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। हथियार प्रणाली की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने के लिए परियोजना लागत का लगभग 60% एमएसएमई सहित निजी उद्योग को दिया जाएगा, जिससे बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।
हथियार का पता लगाने वाले राडार स्वाति (मैदानी)
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ राडार स्वाति (मैदानी) के लिए 990 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह एक स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया राडार है, जो बंदूकों, मोर्टारों और रॉकेटों का पता लगाने में सक्षम है। यह सैनिकों को दुश्मन के किसी भी हस्तक्षेप के बिना अपने परिचालन कार्यों को पूरा करने में सक्षम बनाएगा और उन्हें दुश्मन की गोलाबारी से सुरक्षा भी प्रदान करेगा। यह परियोजना रक्षा उद्योग के लिए अपनी क्षमता दिखाने का एक बड़ा अवसर है और रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम होगा।