पलामू। पलामू के अन्नदाता इन दिनों काफी परेशान हैं। उनकी परेशानी धान बिक्री को लेकर बनी हुई है। पेचिदा सरकारी व्यवस्था किसानों की नींद हराम करके रखी हुई है। बिक्री के लिए धान लेकर किसान पैक्सों में मारे-मारे फिर रहे हैं। जो किसान धान बेच चुके हैं, उठाव नहीं होने से उन्हें 15 दिन बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं हुआ है। अच्छी पैदावार के बाद भी धान फसल किसानों की परेशानी का सबब बनी हुई है।
जिले में अक्सर सुखाड़ एवं अकाल की काली छाया मंडराते रहती है। पिछले साल अच्छी बारिश होने के कारण धान की पैदावार बढिया हुई है। यही कारण है कि जिले में दो लाख क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 41 धान अधिप्राप्ति केन्द्र खोले गए हैं। 15 दिसंबर से धान की खरीददारी की जा रही है। 75 हजार क्विंटल से अधिक धान की खरीद हो गयी है। 2300 रूपए प्रति क्विंटल धान की खरीद तय किया गया है। अलग से 100 रूपए एमएसपी देने का प्रावधान है।
बिक्री की व्यवस्था पेचिदा, मिलर की संख्या एक से अधिक नहीं रहने एवं अधिकारियों की जवाबदेही बेहतर नहीं रहने के कारण किसानों की परेशानी बढी हुई है। बिक्री किए गए धान का उठाव नहीं होने के कारण अधिकतर पैक्सों में खरीददारी बंद है।
पैक्सों की गोदाम क्षमता के अनुसार धान खरीदने का लक्ष्य दिया गया है। कई पैक्स क्षमता के अनुसार धान की खरीद कर लिए हैं। ऐसे में पैक्सों की ई-पॉश मशीन बंद हो गयी है। जब इन पैक्सों पर किसान धान बेचने के लिए पहुंच रहे हैं तो उन्हें निराशा हाथ लग रही है। किसान पैक्स अध्यक्षों से भिड़ जा रहे हैं। तिखी नोक झोक हो रही है। किसानों को समझ आ रहा है कि पैक्स अध्यक्ष उनके पैदावार को खरीदना नहीं चाहते एवं अनावश्यक दौड़ा रहे हैं। किसान धान खरीदने का दबाव बना रहे हैं। सिस्टमेटिक धान खरीदने का नियम होने के कारण पैक्स अध्यक्ष हाथ खड़े कर दे रहे हैं।
यहां यह भी बता दें कि पलामू जिले में एक मात्र मिलर को धान उठाव के लिए अधिकृत किया गया है। उठाव की प्रक्रिया काफी सुस्त रहने के कारण पैक्सों में पड़े-पड़े धान बर्बाद हो रहे हैं। लगातार धान सूख रहे हैं और चूहे बोरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे पैक्स अध्यक्षों को भारी आर्थिक नुकसान होगा।
धान खरीद को लेकर बनी विकट स्थिति के बीच कई किसानों से बात की गयी। धान बेचने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे किसानों ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि अच्छी बारिश होने के कारण धान की खेती बेहतर हुई है, लेकिन बिक्री नहीं होने से वे परेशान हैं। किसानों का कहना है कि अगर सरकारी व्यवस्था यही स्थिति रही तो वे मजबूरन बाजार में धान बेच देंगे।
धान बेच चुके एक किसान ने बताया कि 15 दिन बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं हुआ है। आधा पैसा और बोनस की राशि मिलर द्वारा धान उठाव के बाद मिलने का प्रावधान है। धान का उठाव नहीं होने से ऐसी स्थिति बनी है। मात्र एक मिलर को उठाव के लिए अधिकृत करना सरकार की बड़ी नाइंसाफी है। मिलरों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है।
सहकारिता पदाधिकारी उमेश सिन्हा ने कहा कि धान खरीद के बाद उठाव कार्य में तेजी लाने को लेकर डीएसओ से आज ही बात की गयी है। मिलरों की संख्या बढ़ाने का आग्रह किया गया है। 1000 क्विंटल की खरीद के बाद ई-पॉश मशीन बंद हो जाती है। ऐसे में धान खरीद नहीं होने से परेशानी बनी हुई है।
हुसैनाबाद व्यापार मंडल सह पलामू जिला पैक्स संघ के जिला अध्यक्ष कृष्णा बैठा ने कहा कि किसानों के लिए महत्वाकांक्षी योजना धान अधिप्राप्ति कार्य में मिलर के जरिये धान उठाव की प्रक्रिया बिल्कुल धीमी है। यह बड़ा ही दुर्भाग्य है। सबसे बड़ी समस्या यह कि खरीदारी के डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी हुसैनाबाद, हरिहरगंज, पिपरा प्रखंड के अंतर्गत धान अधिप्राप्ति केंद्र को मिल टैग नहीं किया गया है। बहुत अधिप्राप्ति केंद्र के गोदाम की क्षमता नहीं बढ़ने के कारण अधिप्राप्ति कार्य बंद है।
किसान को खरीदारी के 48घंटे पश्चात आधा पैसा देने का प्रावधान है, जबकि 15 दिन के बाद भी भुगतान नहीं हुआ है। आधा पैसा और बोनस की राशि मिलर द्वारा धान उठाव के बाद मिलने का प्रावधान है। सभी समस्या से व्यापार मंडल के जरिये जिला सहकारिता एवं आपूर्ति पदाधिकारी, उप विकास आयुक्त एवं उपायुक्त को अवगत करा दिया गया है, फिर भी समाधान नहीं हो पा रहा है। ऐसे में कृषि मंत्री एवं मुख्यमंत्री से आग्रह करता हूं कि इस समस्या का समाधान कराया जाए।