गाजियाबाद। प्रयागराज महाकुंभ में प्रताप विहार से पड़ोसी महिलाओं के साथ गई सावित्री देवी (56) हादसे के दौरान बिछड़ गईं। चीख-पुकार की आवाज सुनकर सावित्री स्नान घाट से करीब तीन किमी तक दौड़ीं और एक संकीर्तन के पंडाल में जाकर बेहोश हो गईं। होश आने पर वह मेला परिसर में दिनभर भटकती रहीं। दो दिनों बाद उन्हें घायलावस्था में बिहार का दंपती मिला। जिन्होंने सावित्री को दिल्ली जाने वाली ट्रेन में बैठाया। सुबह सावित्री अपनों की बीच सकुशल पहुंच गईं।
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विजयनगर क्षेत्र के सैक्टर-11 प्रताप विहार निवासी सावित्री पत्नी राजेंद्र प्रसाद शुक्ल अपनी पडोसन कमला राय (66) पत्नी श्रीभगवान और दयावती (80) के साथ 27 जनवरी की रात ट्रेन से प्रयागराज गईं। 28 जनवरी की देर शाम महाकुंभ मेले में तीनों पहुंचीं और संगम किनारे घाट पर स्नान करने लगीं। इसी दौरान उन्हें चीख-चित्कार और पुलिस के सायरन की आवाजें सुनाई दीं। घाट पर लोगों में हलचल हुई और जिसे जहां स्थान मिला दौड़ पड़ा।
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घटनास्थल से करीब 800 मीटर दूर सावित्री भी अन्य श्रद्धालुओं के साथ दौड़ पड़ीं और अपनी दोनों पड़ोसन से बिछड़ गईं। घाट किनारे रखे बैग, मोबाइल, कपड़े और पैसे छूट गए। करीब तीन किमी तेज गति से चलने के बाद सावित्री हांफने लगीं तो सामने लगे संकीर्तन के पंडाल में जा बैठीं। पंडाल के सेवादारों ने उन्हें जल पिलाया और आराम से बैठने को कहा। सावित्री का कहना है कि सुबह तक जो जहां था वहीं फंसा रहा।