Friday, November 22, 2024

ब्रजभूषण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज, महिला पहलवान की सुरक्षा के भी आदेश, गिरफ़्तारी तक धरने पर अड़े पहलवान

नयी दिल्ली- भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई)के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न करने की महिला खिलाड़ियों की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष कहा कि आज इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। इसी बीच पहलवानों ने ब्रजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी तक धरना जारी रखने की घोषणा की है। इसी बीच पहलवानों ने केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर पर उनका फोन भी न उठाने का आरोप लगाया है।

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और पी. एस. नरसिम्हा की पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली पुलिस का पक्ष रखते हुए कहा कि शिकायत के अनुसार प्राथमिकी आज यानी 28 अप्रैल को दर्ज की जाएगी।
पीठ ने सॉलिसिटर जनरल का बयान दर्ज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं खासकर एक नाबालिक की सुरक्षा संबंधी पहलुओं पर गौर करते हुए इस मामले में अगली सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा का मुद्दा अदालत के समक्ष उठाया था। शीर्ष अदालत ने सात महिला पहलवानों की याचिका पर गत मंगलवार को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था और कहा कि ये ”गंभीर आरोप” हैं।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने श्री सिब्बल की दलीलों पर गौर करते कहा था कि यह मामला एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों से संबंधित है। पीठ ने श्री सिब्बल की दलीलों पर सहमति व्यक्त करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था और कहा था कि मामले की अगली सुनवाई वह शुक्रवार को करेगी।

शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि पहलवानों द्वारा रिट याचिका में लगाए गए आरोपों की प्रकृति को देखते हुए याचिकाकर्ताओं के नामों में संशोधन किया जाएगा। डब्ल्यूएफआई प्रमुख पर यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी देने का आरोप लगाते हुए भारतीय पहलवान विनेश फोगट और अन्य ने दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

शीर्ष अदालत के समक्ष सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र हुड्डा ने ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान इस मामले उठाया‌ था। अधिवक्ता ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए पीठ से इस मामले पर शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई थी। पीठ ने याचिका के सूचीबद्ध नहीं होने की बात बताते हुए श्री हुड्डा से इस मामले का मंगलवार को फिर से उल्लेख करने को कहा था ।

याचिका के अनुसार, फोगट और अन्य पहलवानों ने दिल्ली पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने में ‘अत्यधिक देरी’ का हवाला देते हुए श्री सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करने का पुलिस को निर्देश देने की गुहार लगाई थी।
श्री सिंह के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए 23 जनवरी को खेल मंत्रालय ने मशहूर मुक्केबाज एम सी मैरी कॉम की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने अप्रैल के पहले सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, लेकिन इसके निष्कर्ष अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

मैरी कॉम के अलावा समिति के अन्य सदस्यों में ओलंपिक पदक विजेता-पहलवान योगेश्वर दत्त, पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी और मिशन ओलंपिक सेल की सदस्य तृप्ति मुरगुंडे, टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम के पूर्व सीईओ राजेश राजगोपालन और भारतीय खेल प्राधिकरण के पूर्व कार्यकारी निदेशक (टीम) राधिका श्रीमन शामिल थे।

ओलंपियन पहलवान बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगट और अन्य शीर्ष भारतीय पहलवानों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर एक बार फिर गत रविवार से डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता विनेश पत्रकारों से बात करते हुए रो पड़ीं थीं।
विनेश ने पहले आरोप लगाया था कि वह सिंह द्वारा मानसिक उत्पीड़न का शिकार हुई थीं और (दावा किया था) उसने आत्महत्या के बारे में भी सोचा था।

उन्होंने कहा था कि रविवार को एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों ने फिर पुलिस से शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की है, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया।

आज सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने मेहता से कहा, मिस्टर सॉलिसिटर, हम आपका बयान दर्ज करेंगे, एफआईआर दर्ज की जा रही है। दूसरा, हम कहेंगे कि नाबालिग शिकायतकर्ता को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। इसे निपटाने के बजाय, हम इसे एक सप्ताह के बाद लेंगे ?

अदालत द्वारा इस मामले को अगले सप्ताह उठाए जाने के पहलू पर मेहता ने कहा कि यह अलग दिशा में जा रहा है। पीठ में न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि अदालत जांच की निगरानी नहीं करेगी और वह पुलिस से पूछेगी कि क्या किया जा रहा है।

पीठ ने पाया कि सिब्बल ने एक सीलबंद लिफाफे में एक हलफनामा प्रस्तुत किया है क्योंकि एक नाबालिग लड़की की सुरक्षा को लेकर एक आशंका है जो कथित शिकार है।

पीठ ने दिल्ली पुलिस को खतरे की आशंका का आंकलन  करने और नाबालिग लड़की को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया और यह निर्देश पुलिस द्वारा अन्य शिकायतकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने के संबंध में स्वतंत्र खतरे की धारणा बनाने के रास्ते में नहीं आएगा। शीर्ष अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई अगले शुक्रवार को निर्धारित की।

पहलवानों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उन्होंने कई बार दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के लिए मनाने का प्रयास किया, लेकिन वे असफल रहे।

याचिका में कहा गया है कि देश को गौरवान्वित करने वाली महिला एथलीट यौन उत्पीड़न का सामना कर रही हैं और जिस समर्थन की वे हकदार हैं उसे पाने के बजाय उन्हें न्याय पाने के लिए दर-दर भटकने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इस मामले में आरोपी व्यक्ति एक प्रभावशाली व्यक्ति है और न्याय से बचने के लिए कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहा है और कानूनी व्यवस्था में और हेरफेर कर रहा है। न्याय में बाधा डाल रहा है।

याचिका में कहा गया है, यह महत्वपूर्ण है कि पुलिस यौन उत्पीड़न की सभी शिकायतों को गंभीरता से ले और तुरंत एफआईआर दर्ज करें। साथ ही एफआईआर दर्ज करने में देरी करके न्याय के रास्ते में बाधा पैदा न करें।

एफआईआर दर्ज करने में देरी न केवल पुलिस विभाग की विश्वसनीयता को कम करती है बल्कि यौन उत्पीड़न के अपराधियों को भी प्रोत्साहित करती है, जिससे महिलाओं के लिए आगे आना और ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करना अधिक कठिन हो जाता है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय