मुजफ्फरनगर। हिन्द मजदूर किसान समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष क्रांतिगुरू चंद्रमोहन के जन्मदिवस के अवसर परमधाम मुख्यालय में भारी संख्या में किसान और मजदूरों ने रक्तदान किया गया। कार्यक्रम में मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अखिलेश मोहन और समिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजपाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान से की गई। इसके बाद क्रांतिकारियों की महाआरती की गई। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी जी द्वारा एक कल्पवृक्ष का पौधा भी रोपा गया।
इस शुभ अवसर पर उपाध्यक्ष राजपाल ने बताया कि प्रति वर्ष हमारे अध्यक्ष चंद्रमोहन के जन्मदिवस को हम वृक्षारोपण दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन से हर वर्ष हमारे किसान सवा लाख वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ करते हैं।
इसके साथ-साथ इस दिन हिन्द मजदूर किसान समिति के मजदूर और किसान बढ़ चढ़कर रक्तदान भी करते हैं। हमारे अध्यक्ष चंद्रमोहन का मानना है कि रक्तदान ही पिंडदान है, महादान है। रक्त नाड़ियों में बहने के लिया बना है, नालियों में नहीं इसलिए सभी मनुष्यों को जो 18 से 60 वर्ष के हों साल में एक बार जरूर रक्तदान करना चाहिए।
हिन्द मजदूर किसान समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रमोहन के संदेश में वृक्षारोपण का महत्व बताते हुए उन्होंने आगे बताया की जैसे वृक्षों से पृथ्वी पर पर्यावरण खुशहाल होता है वैसे ही जाति रहित एकजुटता से मानवता खुशहाल होती है। अध्यात्म का पहला सूत्र ही प्रकृति प्रेम है। हमें हृदय से प्रकृति से प्रेम कर चाहिए क्योंकि वृक्ष साक्षात शंकर हैं, पशुपतिनाथ हैं अर्थात पशुओं को पालने वाला है। शंकर से ही शिव (परमात्मा) की प्राप्ति होती है।
वृक्ष विष (कार्बन डाइऑक्साइड) पीता है और अमृत (ऑक्सीजन) देता है। वृक्ष ही साक्षात भोलेनाथ हैं. क्योंकि पत्थर मारो फल देता है, फूल देता है। वृक्ष ही साक्षात महादेव है क्योंकि देवों (देने वालों) में वृक्ष ही सबसे अधिक देता है। जल स्त्रोत को विष्णु कहा गया और वायुमंडल को ब्रह्मा । शंकर और विष्णु अर्थात वनस्पति और पीने के जल स्त्रोत के प्रति जागरूकता अध्यात्म में प्रवेश का पहला कदम है।
वृक्ष अपने जीवन में लगाना और उसे निष्ठा से पालना दस पुत्रों को पालने के समान है। जो वृक्ष आज हमें प्राण वायु दे रहे हैं वो हमारे लिये औरों ने लगाए हैं। हमें भी अपनी आने वाली पीढ़ी के लिये वृक्ष लगाने चाहिये। जितना हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हैं उतना ही प्रकृति से हमें दुःख और पीड़ा मिलती है। उत्तराखण्ड और नेपाल में आयी भारी तबाही प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का ही नतीजा है। वृक्षों को काटकर हम अपने लिये ही अंधकार का मार्ग खोल रहे हैं। जहाँ वृक्ष कम होते हैं वहाँ अपराधिक सोच बढ़ जाती है। “वृक्ष लगाओ अपराध भगाओ”
अतः हमें अपने जीवन में कम से कम एक पौधा लगाकर उसका पालन करना चाहिये । इससे हम परमात्मा की नजरों में चढ़ते हैं। अगर सभी लोग एक पौधा लगायें और उसे पालें तो हमारा देश हरा-भरा हो जाएगा।
इस अवसर पर राजपाल, राहुल, ओमप्रकाश, ईश्वर, नरेंदर, बबलू, सतीश, नरेंदर सिंह, बबली, राजबहादुर, आदेश, अशोक, अंकित, तरुण, अजय इत्यादि उपस्थित रहे।