आधुनिक खान-पान और जीवन शैली ने युवाओं को थकान जैसा रोग भी दे दिया है। युवा लोग जो 20 से 30 वर्ष की आयु वाले हैं, अधिक शिकायत करते हैं कि थकान हो रही है। कहीं वह मानसिक रूप से थकान तो नहीं महसूस करते, आलस भी थकान का एक कारण है, शारीरिक थकान तो थकान होती ही है। अगर हम लगातार थकान महसूस करते हैं तो हमें अपनी जीवनशैली और खानपान पर पहले जरूर नजर डालनी चाहिए। कहीं हमारा लाइफ स्टाइल गलत तो नहीं। अगर ऐसा है तो थोड़े से सुधार लाकर इसे दूर कर सकते हैं।
भोजन करें संतुलित:-
तीन मुख्य आहार आवश्यक हैं शरीर को चुस्त रखने हेतु। उसमें प्रात: का नाश्ता विशेष महत्व रखता है। प्रात: का नाश्ता अवश्य लें ताकि दिन भर ऊर्जा से भरे रहें। नाश्ता पौष्टिक लें जैसे ओट्स मिल्क, मूसली मिल्क, अंडा ब्रेड, सब्जियों वाला सैंडविच और ताजा फलों का रस, दलिया, उपमा, इडली आदि।
तीन मुख्य आहार आवश्यक हैं शरीर को चुस्त रखने हेतु। उसमें प्रात: का नाश्ता विशेष महत्व रखता है। प्रात: का नाश्ता अवश्य लें ताकि दिन भर ऊर्जा से भरे रहें। नाश्ता पौष्टिक लें जैसे ओट्स मिल्क, मूसली मिल्क, अंडा ब्रेड, सब्जियों वाला सैंडविच और ताजा फलों का रस, दलिया, उपमा, इडली आदि।
दिन में दाल, सब्जी, सलाद, दही, चावल, चपाती का सेवन करें। रात्रि में भी सब्जियों का सूप, दाल व सब्जी लें। तीन मुख्य आहार के बीच में दो छोटे आहार फल, स्प्राउट्स, चाय-बिस्कुट, काफी ले सकते हैं। मौसमी फल, सब्जियां, अनाज जैसे कांपलेक्स कार्बोहाइड्रेट रक्त शर्करा का स्तर ठीक रखते हैं। मांसाहारी लोग चिकन के साथ सलाद व हरी सब्जी का सेवन करें। जंक फूड से बचें। गलत खानपान और आवश्यकता से कम भोजन का सेवन भी थकान जैसी समस्या का कारण हो सकता है।
अपनी नींद पूरी लें:-
अगर आप हैल्दी हैं तो 6 से 7 घंटे की नींद एक वयस्क हेतु काफी है। कई लोगों को 7 से 8 घंटे की नींद की आवश्यकता रहती है पर दिन भर की व्यस्तताओं के रहते वे अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते जो धीरे धीरे शरीर को ढीला बना देता है और काम करने की क्षमता को भी कम करता है जिससे सेहत और एकाग्रता पर प्रभाव पड़ता है।
अपनी नीेंद पूरी करने हेतु एक नियमित समय सारिणी बनाएं। खाना हल्का और समय पर खाएं और एक निश्चित समय पर मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर आदि बंद कर दें। धीरे धीरे आदतों में सुधार आने पर लाभ मिलेगा।
अगर आप हैल्दी हैं तो 6 से 7 घंटे की नींद एक वयस्क हेतु काफी है। कई लोगों को 7 से 8 घंटे की नींद की आवश्यकता रहती है पर दिन भर की व्यस्तताओं के रहते वे अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते जो धीरे धीरे शरीर को ढीला बना देता है और काम करने की क्षमता को भी कम करता है जिससे सेहत और एकाग्रता पर प्रभाव पड़ता है।
अपनी नीेंद पूरी करने हेतु एक नियमित समय सारिणी बनाएं। खाना हल्का और समय पर खाएं और एक निश्चित समय पर मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर आदि बंद कर दें। धीरे धीरे आदतों में सुधार आने पर लाभ मिलेगा।
सिस्टम सही होने पर भी नींद पूरी न हो तो डाक्टर से संपर्क करें कि कहीं आप नींद न आने की बीमारी से ग्रस्त तो नहीं या हो सकता है। सांस ठीक से न लिया जाता हो, बार-बार नींद टूटती हो और नींद पूरी न होती हो तो डाक्टर से जांच करवाने पर उचित राय और दवा की आवश्यकता होगी तो देगा।
चाय-काफी के अधिक सेवन से:-
चाय-काफी के अधिक सेवन से दिल की गति और रक्तचाप बढ़ता है जो नींद में बाधा डालता है। चाय-काफी के अतिरिक्त अधिक चाकलेट के सेवन से या आर्टिफिशियल एनर्जी ड्रिंक्स भी कैफीन की मात्रा को शरीर में बढ़ाते हैं। इन सब का सेवन सीमित मात्रा में करें। सीमित मात्रा में दो या तीन कप चाय काफी पीने से शारीरिक सक्रियता बढ़ती है, साथ ही काम करने की गति भी ठीक बनी रहती है। अगर आप ज्यादा कैफीन का सेवन करते हैं तो धीरे धीरे मात्रा कम कर दें। एकदम बंद न करें। इससे थकान बढ़ सकती है। इनके अतिरिक्त बीमारी भी थकान की वजह हो सकती है। जैसे मूत्रमार्ग सवंमित होना, अनीमिया होना या थायरायड ग्रंथि का सक्रिय होना आदि।
चाय-काफी के अधिक सेवन से दिल की गति और रक्तचाप बढ़ता है जो नींद में बाधा डालता है। चाय-काफी के अतिरिक्त अधिक चाकलेट के सेवन से या आर्टिफिशियल एनर्जी ड्रिंक्स भी कैफीन की मात्रा को शरीर में बढ़ाते हैं। इन सब का सेवन सीमित मात्रा में करें। सीमित मात्रा में दो या तीन कप चाय काफी पीने से शारीरिक सक्रियता बढ़ती है, साथ ही काम करने की गति भी ठीक बनी रहती है। अगर आप ज्यादा कैफीन का सेवन करते हैं तो धीरे धीरे मात्रा कम कर दें। एकदम बंद न करें। इससे थकान बढ़ सकती है। इनके अतिरिक्त बीमारी भी थकान की वजह हो सकती है। जैसे मूत्रमार्ग सवंमित होना, अनीमिया होना या थायरायड ग्रंथि का सक्रिय होना आदि।
मूत्रमार्ग में संक्र मण होने से पेशाब बार बार आता है या जलन से आता है इसके कारण थकावट अधिक होती है और चक्कर भी आ सकते हैं। ऐसे में मूत्र की जांच करवा कर संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। संक्रमण होने पर डाक्टर की सलाह से दवा ले सकते हैं।
शरीर में खून की कमी होने से भी शरीर थका थका रहता है। खून की कमी शरीर में लौह तत्व की कमी के कारण होता है जिसे अनीमिया रोग कहा जाता है। इसकी कमी को लौह तत्वों से भरपूर डाइट लेकर पूरा किया जा सकता है। अधिक कमी होने पर दवाइयों का सहारा भी ले सकते हैं।
थायरायड ग्रंथि के सक्रिय होने से शरीर थका थका महसूस करता है। थायरायड होने पर शरीर का मेटाबालिज्म सिस्टम ढीला पड़ जाता है जिससे शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होती है। डाक्टर से जांच करवा कर इसका इलाज समय रहते करने से आप ठीक रह सकते हैं।
– मेघा
थायरायड ग्रंथि के सक्रिय होने से शरीर थका थका महसूस करता है। थायरायड होने पर शरीर का मेटाबालिज्म सिस्टम ढीला पड़ जाता है जिससे शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होती है। डाक्टर से जांच करवा कर इसका इलाज समय रहते करने से आप ठीक रह सकते हैं।
– मेघा