धारवाड़। कर्नाटक उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ ने बुधवार को एक बड़े फैसले में अत्याचार मामले में दोषी ठहराए गए 97 लोगों को जमानत दे दी। पीठ ने प्रत्येक दोषी को 50,000 रुपये का बांड और जमानत राशि जमा कराने का आदेश दिया है। अदालत ने पांच साल की सजा पाने वाले तीन अन्य आरोपियों को भी जमानत दे दी है।
मामले के मुख्य आरोपी ने अदालत में जमानत याचिका पेश नहीं की है। 25 अक्टूबर को एक ऐतिहासिक फैसले में कर्नाटक की एक अदालत ने राज्य के कोप्पल जिले में हुए अत्याचार के एक मामले में 98 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सूत्रों ने बताया कि राज्य के इतिहास में यह पहला मामला है
जब किसी अत्याचार के मामले में इतनी बड़ी संख्या में आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। यह घटना गंगावती तालुक के माराकुम्बी गांव में हुई थी। गंगावती पुलिस ने मामले की जांच कर आरोप पत्र दाखिल किया था। कुल 101 लोगों को अदालत में पेश किया गया और उनमें से एससी और एसटी समुदाय के तीन आरोपियों को पांच साल का कारावास और 5,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई। वहीं, ऊंची जाति के बाकी लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। यह घटना 28 अगस्त 2014 की है।
आरोपियों पर गांव में मामूली बात पर दलितों के घर तोड़ने और उन पर हमला करने का आरोप था।गंगावती पुलिस ने 117 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। गांव में छुआछूत पर सवाल उठाने वाले कुछ दलित युवकों की सक्रियता से नाराज होकर आरोपियों ने दलितों की बस्ती में घुसकर उनकी झोपड़ियों में आग लगा दी। आरोपियों ने घरों में तोड़फोड़ भी की थी और दलितों पर हमला भी किया था। पुलिस ने 101 लोगों को हिरासत में लिया था। जबकि, बाकि 16 लोगों की मौत हो गई थी।