गाजियाबाद। राज्य कर विभाग ने ऐसी 40 हजार से ज्यादा फर्मों की सूची तैयार की है, जिन्हें बार-बार नोटिस जारी किए गए लेकिन जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) का भुगतान नहीं किया। इन फर्मों को आरसी (रिकवरी सर्टिफिकेट) भी जारी की जा चुकी हैं। अब विभाग ने बकायेदार फर्मों पर शिकंजा कसते हुए खातों को सीज करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। अब तक 700 से ज्यादा खाते सीज कर दिए गए हैं। साथ ही, गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर और मोदीनगर की सभी बैंक शाखाओं को नोटिस भेजकर डिफाल्टर फर्मों की जमा धनराशि रोकने की हिदायत दी गई है।
ऐसे बकायेदारों की संख्या काफी ज्यादा है जो जुलाई 2017 से पहले वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) में पंजीकृत थे। इन बकायेदारों ने अपनी फर्मों का जीएसटीआईएन नंबर तो ले लिया लेकिन वैट का बकाया जमा नहीं किया है। ऐसे डिफाल्टरों से को बार-बार नोटिस जारी किए गए। भुगतान नहीं होने पर डीआरसी-07 के माध्यम से (बैंक खातों को अटैच/सीज कर) बकाया वसूली की जा रही है। राज्य कर विभाग के अपर आयुक्त ग्रेड-1 दिनेश कुमार मिश्र ने बताया कि शासन के निर्देश पर सभी खंड अधिकारियों को प्रत्येक दिन 200 खाते सीज करने का लक्ष्य दिया गया है। खातों को सीज कर रोजाना शाम तक शासन को रिपोर्ट भेजी जा रही है।
राज्य कर विभाग ने गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर और मोदीनगर को दो जोन में बांटा हुआ है। 20 सितंबर को गाजियाबाद जोन-1 में 69 खाते सीज कर 14.71 लाख रुपये और जोन-2 में 66 खाते सीज कर 4.87 लाख रुपये जमा कराए गए हैं। इस साल एक अप्रैल से 20 सिंतबर के बीच जोन-1 में विभिन्न फर्मों के 300 खाते सीज कर एक करोड़ से अधिक धनराशि जमा कराई जा चुकी है। वहीं, जोन-2 में 376 बैंक खातों को सीज कर 69.40 करोड़ रुपया जमा कराया जा चुका है। जोन-1 में डिफाल्टरों की संख्या 21,778 है, जिन पर 1385.67 करोड़ रुपया बकाया है। जबकि जोन-2 में 18,340 डिफाल्टरों पर 185.65 करोड़ रुपया बकाया है।