Sunday, November 24, 2024

सहारनपुर जनपद में लू के दृष्टिगत चिकित्सा के पर्याप्त इंतेजाम, मुख्य चिकित्साधिकारी ने हीट स्ट्रोक से बचने के बताए उपाय

 
सहारनपुर। जिलाधिकारी अखिलेश सिंह के निर्देशानुसार मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 संजीव मांगलिक ने बताया कि वर्तमान समय में मौसम के परिवर्तन के बाद से लगातार तापमान बढता ही जा रहा है। ऐसे में संक्रामक रोगों का खतरा आसन्न है। उन्होनें बताया कि लू (हीट बेव) के दृष्टिगत जनपद ब्लॉक स्तर पर इलाज की समुचित व्यवस्था के लिये ओआरएस एवं आईवी फ्ल्यूड आदि का पर्याप्त स्टॉक करा दिया गया है। मानव संसाधन को भी अलर्ट कर दिया गया है। ग्रामीण एवं शहरी स्वास्थ्य केन्द्रों पर आवश्यक दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करा दी गई है। माह अप्रैल, मई व जून लू (हीट बेव) के प्रकोप के माह माने गये।
जनपद में अभी तक कोई अप्रिय घटना की रिपोर्ट नहीं हुई है। प्रतिदिन ग्रामीण व शहरी स्वास्थ्य केन्द्रों से लू की रिपेार्ट संकलित कर शासन को प्रेषित की जाती है। जनपद स्तर से ब्लॉक स्तर के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को जल जनित बीमारी, निज स्वच्छता व सफाई के लिये संवेदनशील कर दिया गया है। मच्छरों से बचाव हेतु फॉगिग व लार्वा स्प्रे नियमित रूप से किया जा रहा है। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों हेतु एडवाइजरी जारी कर दी गयी है। महामारी की दशा में त्वरित कार्यवाही हेतु रैपिड रिस्पान्स टीम का गठन कर दिया गया है।
डॉ0 संजीव मांगलिक ने जनपद के सभी जनमानस से आग्रह किया है कि लू के लक्षण होने पर नजदीकी सामुदायिक
स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर सम्पर्क करें। हीट स्ट्रोक के लक्षण-
गर्म, लाल ,शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना। तेज पल्स होना। (नाडी गति तेज होना), उथले श्वास गति में तेजी, व्यवहार मेें परिवर्तन, भ्रम की स्थिति, सिरदर्द, मतली, थकान ओर कमजोरी होना, चक्कर आना, मूत्र ना होना अथवा इसमें कमी।
हीट स्ट्रोक से बचने के उपाय-
अधिक से अधिक पानी पीयें, पसीना सोखने वाले पतले व हल्के रंग के वस्त्र ही पहने, तेज धूप में निकलने से बचे, अगर तेज धूप में निकलना जरूरी है तो निकलते वक्त छाता लगा लें या टोपी पहन ले एवं ऐसे कपडे जिससे शरीर अधिक से अधिक ढका रहे, यात्रा करते समय अपने साथ पर्याप्त मात्रा में पीने का स्वच्छ पानी रखे, ओ0आर0एस0 घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी, नीबू-पानी, छाछ आदि का उपयोग करें। ताकि शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके, घरेलू एवं पालतू जानवरों को छायादार स्थानों पर रखें और उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी पीने को दें, अपने घरों को ठंडा रखें, दरवाजे व खिडकियों पर पर्दे लगवाना उचित होता है। सायंकाल व प्रातः के समय घर के दरवाजे खिडकियों को खोलकर रखें ताकि कमरें ठंडें रहे, श्रमसाध्य कार्यो को ठंडे समय मे करने एवं कराने की प्रयास करें, कार्यस्थल पर पीने के ठंडें पानी की व्यवस्था करें, कर्मियों को सीधी सूर्य की रोशनी से बचने हेतु सावधान करे, पंखे, गीले कपडों का उपयोग करें तथा स्नान करे, गर्भस्थ महिलाओं, छोटे शिशुओं व बडी उम्र के लोगों की विशेष देखभाल करें, चाय, कॉफी पीने से परहेज करें,बासी भोजन अथवा खुले बिकने वाला गन्ने एवं अन्य फलों का रस, कटे फल, खुली तली-भुनी खाद्य वस्तुयें एवं प्लास्टिक के पाउच मेें बिकने वाले पेयजल एवं खाद्य पदार्थ के प्रयोग ना करें, यदि सम्भव हो तो दोपहर 11.00 बजे से अपरान्ह 4.00 के मध्य धूप में निकलने से बचें।गहरे रंग के भारी तथा तंग कपडे न पहनें, जब बाहर का तापमान अधिक हो तो श्रमसाध्य कार्य न करेें।
हीट-स्ट्रोेक का उपचार तथा फर्स्ट-एड-मनुष्य के शरीर के उच्च तापमान को नियंत्रित कर 100 डिग्री फा0 तक रखने का प्रयास करेें, मरीज को ठण्डी जगह में रखें, मरीज को ठण्डी हवा करें तथा उसके शरीर को स्पंज अथवा गीले कपडे से पौछें, मरीज को ठण्डे पानी के टब में रखे अथवा उसके ऊपर बर्फ की पट्टी रखें जब तक की उसका तापमान 100 डिग्री फा0 तक न हो जाए।
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