Tuesday, November 5, 2024

अब्दुल्ला आज़म की सजा पर स्टे की अपील नामंजूर, मुज़फ्फरनगर आते हुए हुआ था आज़म खान का उस दिन विवाद !

मुरादाबाद- उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद की एक अदालत ने छजलैट मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अब्दुल्ला आजम के सजा स्थगन के प्रार्थना पत्र को रद्द कर दिया है।

डेढ़ दशक पुराने छजलैट मामले में पिछली 13 फरवरी को एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट की मजिस्ट्रेट स्मिता गोस्वामी की अदालत ने सपा नेता आज़म खां और उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम को दोषी करार देते हुए दो-दो साल की सजा और तीन तीन हजार रूपये का जुर्माना लगाया था। बाद में दोनों लोगों की जमानत अर्जी मंजूर होने के बाद उन्हे जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

विशेष लोक अभियोजक मोहन लाल बिश्नोई ने मंगलवार को बताया कि स्वार सीट से पूर्व सपा विधायक अब्दुल्ला आजम खां ने एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनायी गयी सजा को लेकर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में स्थगन प्रार्थना पत्र दिया था जिसे दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने उसे रद्द कर दिया है।

पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म की ओर से अधिवक्ता शहनवाज सिब्तैन ने जिला न्यायाधीश की अदालत में स्टे प्रार्थनापत्र अपील के साथ प्रस्तुत किया था जिसमें कहा गया था कि दोषी करार अब्दुल्ला आज़म के खिलाफ एमपी एमएलए स्पेशल मजिस्ट्रेट कोर्ट ने गलत आदेश पारित किया है जबकि उनके खिलाफ कोई मुकदमा ही नहीं बनता है।

जिला शासकीय अधिवक्ता नितिन गुप्ता एवं विशेष लोक अभियोजक मोहन लाल विश्नोई ने बताया कि इस मुकदमे में शासन स्तर से लखनऊ से आए विशेष अधिवक्ता अनिल प्रताप सिंह द्वारा यहां बहस की गई थी। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय पुनीत गुप्ता की अदालत में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आदेश के लिए मंगलवार की तिथि नियत की थी। जिसमें उनके प्रार्थना पत्र को रद्द कर दिया गया।

गौरतलब है कि दो जनवरी 2008 को आजम खां अपने परिवार के साथ मुजफ्फरनगर एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जा रहे थे। दो दिन पहले ही रामपुर के सीआरपीएफ कैम्प में आतंकवादी हमला हुआ था। इस कारण से आसपास के जिलों में भी सतर्कता बरती जा रही थी। उस समय थाना छजलैट के बाहर आजम खां के वाहन को पुलिस द्वारा चेकिंग के लिए रोका गया था।

उनकी गाड़ी में लगी काली पन्नी हटाने के लिए पुलिस कर्मियों ने उनसे कहा था। इसको लेकर सपा नेता आज़म खां ने अपना अपमान समझते हुए पुलिस से काफी विवाद बढ़ गया था। आसपास के जिलों से भी कद्दावर सपा नेता के समर्थन में काफी नेता एकत्र हो गए थे। उन पर आरोप था कि इन्होंने सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न की और लोगों को भड़काकर बवाल किया।

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