वाराणसी। लोक उपासना के महापर्व डाला छठ के पूर्व वाराणसी का अस्सी घाट एक बार फिर अपने पुराने स्वरूप में दिखेगा। तीन-चौथाई घाट जो पानी और मिट्टी (गाद) से ढंक चुका है, उसकी फिर सफाई हो रही है। नगर निगम प्रशासन ने पोकलैंड लगाकर गंगाघाट से गाद हटाने का काम शुरू कर दिया है। घाटों के रहवासी बताते हैं कि इससे गंगा और अस्सी का पुराना वाला विहंगम रूप लौट सकेगा।
अस्सी घाट पर गंगा आरती कराने वाली संस्था गंगा सेवा समिति के श्रवण मिश्र बताते हैं कि हम लोगों ने इसको लेकर नगर आयुक्त शिपु गिरी से निवेदन किया था। उन्होंने स्थानीय लोगों के प्रार्थना को तवज्जो देकर इस कार्य को शुरू कराया है। उन्होंने बताया कि पुराने अस्सी घाट पर 09 प्लेटफार्म थे, वहीं नए अस्सी घाट पर 07 प्लेटफॉर्म थे। वर्तमान में दोनों घाटों पर केवल 03 प्लेटफॉर्म ही दिखाई दे रहे हैं। बाकी सब 10 साल से ज्यादा समय से मिट्टी में दबे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चलाया था पहली बार अस्सी घाट पर फावड़ा
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने यहां पर पहली बार फावड़ा चलाकर स्वच्छता अभियान की शुरूआत की थी। उसके बाद 2016 में शांति लाल जैन और सनबीम भगवानपुर ने इस सफाई अभियान को चलाया था। उनके बाद कई अन्य संस्थाओं ने भी घाट पर जमें सिल्ट को हटाने का काम किया लेकिन गंगा के जलस्तर बढ़ने के कारण हर हाल सिल्ट में पूरा अस्सी घाट अपने स्वरूप में नहीं आ सका। सफाई करने वाले ठेकेदार ने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल अभी तक 05 फीट से ज्यादा सिल्ट को हटाया गया हैं। अब पोकलैंड के जरिए इस काम को और तेजी से किया जा रहा हैं। इसके लिए 20 पंप लगाकर इसकी सफाई की जायेगी। उन्होंने कहा की हमारी कोशिश है कि घाट से गंगा की दूरी कम की जाए और अस्सी घाट की दिव्यता और भव्यता बढ़ जाए।