Friday, November 22, 2024

ज्योतिषीय उपाय -क्या करें उपाय बिगड़ी संतान के लिए ?

पहले समय में एक से अधिक संतान हुआ करती थी। यदि कोई नालायक भी निकल जाती तो भी परिवार का काम नहीं रुकता था। वर्तमान समय में ‘हम दो हमारे दो’ के बाद एक ही संतान का रुझान हो गया है ताकि मंहगाई के मौसम में उसका लालन पोषण, पढ़ाई इत्यादि भली भांति हो सके और वह बुढ़ापे में, मां बाप का सहारा बन सके। वैसे तो ज्योतिष के अनुसार संतान भी पूर्व जन्मों के कर्मों से ही प्राप्त होती है। किस प्राणी को आपके घर में कब आना है और कैसे आना है यह सब आपके और आने वाले के पुराने संबंधों पर निर्भर करता है। किसे आप को सुख देना है किसे दुख, यह सब प्रारब्ध है। यदि कुंडली में संतान तो है परंतु संतान सुख नहीं तो मन्नतों से मांगी गई औलाद भी पूरी जिंदगी रुलाती ही रहती है।

हमारे समाज में अनेक उदाहरण है कि मांगने से किसी को तो  एक औलाद भी नसीब नहीं होती, कहीं लाइनें लग जाती है। कहीं एक मां चार लड़कों को पालती पोसती है तो कभी चारों बेटे एक  मां को नहीं संभाल पाते। राजा दशरथ के भाग्य में चार पुत्र बहुत कठिनाई से मिले परंतु सुख नहीं मिल पाया। श्रवण कुमार भी अपने अंधे माता पिता को भी पूर्ण सुख नहीं दे पाया।
कभी तो एक साथ जुड़वां ही नहीं अपितु चौके छक्के मारते हुए बच्चे जन्म ले लेते हैं और कई बार 20-25 साल संतान की आस में डाक्टर- डाक्टर,मंदिर -मस्जिद, मुल्लाओं , तांत्रिकों,गंडे ताबीजों, कब्रों , मजारों की परिक्रमा करनी पड़ती है और फिर भी गोद हरी नहीं होती। फिर हार कर वंश संचालन के लिए गोद लेने की प्रक्रिया चलती है। कभी तो परिवार से ही बच्चा गोद मिल जाता है तो कभी अनाथाश्रम का रुख करना पड़ता है।

ज्योतिष शास्त्र में संतान होना, संतान सुख भी  होना , कितनी संतान होना, कब होना, कितनी बच पाना, सीजेरियन होना, उसका लिंग निर्धारण आदि सब कुछ देखा जा सकता है। संतान होना और संतान सुख भी होना , दोनों ही भाग्य की बात है। ज्योतिष शास्त्र में कुंडली का पंचम स्थान ही आपकी संतान और आपके पूर्व जन्म के कर्म व फल दर्शाता है। यदि पंचम भाव में चंद्र विद्यमान हो और राशि व दृष्टि भी शुभ हो तो कई संतानें होती हैं। यदि पंचमेश उचित भाव में न हो ,राशि भी ठीक न हो और क्रूर ग्रहों की दृष्टि हो तो कई बार संतान होती ही नहीं। मंगल या सूर्य का पंचम भाव में होना या दृष्टि होना भी कई बार संतान नष्ट करवा देता है। ज्योतिष में असंख्य योग हैं जिससे संतान के होने और उनके योग्य अथवा अयोग्य होने का पता चलता है। संतान के आपसे संबंधों के बारे पता चलता है। सूर्य व शनि किसी भी भाव में विशेषकर नवें या दसवें में एक साथ हों तो पिता-पुत्र या तो अलग रहते हैं, या उनकी बनती नहीं, या वैचारिक मतभेद रहता है या कई बार साथ ही बहुत कम रहता है।  कई बार दोनों में से किसी एक की उन्नति रुक जाती है। ऐसी स्थिति में पिता और पुत्र को एक घर में नहीं रहना चाहिए या एक ही व्यवसाय, एक छत के नीचे नहीं करना चाहिए। कई बार देखा गया है कि ऐसे योग के कारण पुत्र तभी फला फूला जब पिता नहीं रहे।

कुंडली में यदि पुत्र मांगलिक है या कालसर्प योग है या गंडमूल नक्षत्रों में जन्मा है तो भी पिता के लिए मुसीबत का कारण बना है। कई बार ‘बाप कमाए बेटा उड़ाए’ की हालत रहती है। हमने कई पिताओं को पुत्र के हाथों लुटता-पिटता भी देखा है। जमीन जायदाद बराबर करते देखा है। बाप महा शरीफ, बेटा 10 नंबरी देखा है। यह सब भाग्य का ही खेल है जिसे देखना ही पड़ता है।

परंतु जहां ज्योतिष इन सभी बातों की विवेचना करता है वहीं उपायों के द्वारा कष्ट कम करने में सहायक भी होता है। वैसे तो हमारे जागरुक समाज में बच्चों के जन्म पर ही उसके गंडमूल नक्षत्र के बारे में पता कर लिया जाता है और 27 दिनों में ही उसकी शांति करवा दी जाती है परंतु यदि बाद में पता चलता है तो भी इसकी शांति अपने जीवनकाल में तीन बार कराई जा सकती है। इसी प्रकार काल सर्प योग की भी पूजा जीवन में कई बार कराई जा सकती है। यदि संतान मांगलिक है तो वह उग्र स्वभाव, अभिभावकों का कहना न मानने वाले, स्वाभिमानी, खर्चीले, उदंड, खाने पीने के शोैकीन, विलासप्रिय, बार बार चोट खाने वाले, हो सकते  हैं   या इनकी  करतूतों के कारण मां बाप को थाने, कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पड़ जाते हैं। ऐसे बच्चों को ‘हैंडल विद केयर कहा जाता है। इनके गले में आयु के अनुसार ,चांदी का चंद्रमा, मोती, चांदी की ठोस गोली, चांदी की चैन, मोती की अंगूठी, चांदी का बेजोड़ कड़ा जिसमें तांबे का रिवट लगा हो समयानुसार पहनाना चाहिए।
कुछ अनुभूत उपाय जिन्हें हम गत 50 वर्षों में आजमा चुके है, ऐसे बच्चों के लिए कर सकते  हैं। जिनसे आप परेशान हैं, इकलौते हैं, उन्हें अलग भी नहीं कर सकते।
होलिका दहन पर देशी घी में भीगे पांच लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता होलिका दहन में अर्पित करें। करें। दूसरे दिन वहां की राख लाकर  ताबीज में भर के बच्चे को पहनाएं।
– पिता या किसी बुजुर्ग से विवाद समाप्ति हेतु, हल्दी की 7 गांठें और एक मुटठी चने की दाल डालें।
– पुत्र या पुत्री  से परेशानी, हो या वह कहने में न हो तो सूखे प्याज लहसुन और हरा नींबू होलिका दहन में डालें।
– 2 रोटियों  पर तेल लगा के बच्चे पर 7 बार उल्टा घुमाएं, एक पक्षी को दें एक कुत्ते को।
– बकरी की 7 मींगने बच्चे के सिरहाने रखें।
– इतवार या मंगलवार बच्चे के सिरहाने फिटकरी का एक टुकड़ा रखें
– शुक्रवार की रात साबुत काले उड़द की दाल भिगोएं ,शनिवार सुबह सरसों के तेल में इसके दो बड़े तलें , इस पर दही व सिंदूर लगा के 7 बार लड़के के सिर से उल्टा घुमाएं। 21 शनिवार लगातार पीपल पर सायंकाल चढ़ाएं । इसमें नमक आदि न डालें। पीछे मुड़ के न देखें
– लोहे के दो टुकड़े, मंगलवार को  बच्चे के सिर से 7 बार उल्टा घुमाकर आग पर गर्म करें फिर इसे ठंडे जल में भिगो दें। 13 मंगलवार पूरे करें।
– मंगलवार को सुनार से अष्टधातु का कड़ा बनवा के शनिवार पूजा करवा के पहनाएं।
– पीपल की जड़ बच्चे के सिरहाने रखें।
– शव से उतारी गई कौड़ी व पैसा बच्चे के सिरहाने रखें।
– एक मुट्ठी बाजरा रोज, 7 बार संतान के ऊपर से घुमा के पक्षियों  को डालें।
– अपनी मांग का टीका या सिंदूर , रात को सोते समय बच्चे के माथे या शरीर के किसी भाग पर चुपचाप हर शुक्रवार को लगाएंं।
– बच्चे के गले में चांदी का चौरस टुकड़ा डालें।
– लाल कपड़े में धान, मसूर की दाल, उड़द, बाजरा, जौ, काले तिल, पीली सरसों, एक नीबू बांध के बच्चे के उपर या फोटो के ऊपर से 7 बार उल्टा घुमा के सुबह सुबह पीपल के नीचे रख आएं।
– बच्चे पर 7 बार दूध घुमा के काले कुत्ते को पिला दें । महीने के एक शनिवार जरुर करें ।
– बच्चे के माथे पर या कान के पीछे काला टीका नजर के लिए लगा दिया करें।
– 7 सूखी लाल मिर्चें बच्चे पर या उसकी फोटो पर 7 बार उल्टा घुमा कर आग पर जला दें। इतवार/ मंगलवार/शनिवार को।
– तांबें का छेद वाला पैसा खाकी धागे में पिरो कर बच्चे के गले में पहनाएं।
मदन गुप्ता सपाटू – विभूति फीचर्स

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