गोरखपुर। यूपी के मुख्यमंत्री एवं महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विश्व की सबसे पुरातन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद प्राचीनकाल से ही हमारे जीवन का हिस्सा रहा है। आज पूरी दुनिया ने एक बार फिर इसकी महत्ता को स्वीकार किया है। कृषि को आयुर्वेद से जोड़कर कई नए कार्य प्रारंभ किए जा सकते हैं। आज आयुर्वेद के क्षेत्र में तमाम स्टार्टअप इंतजार कर रहे हैं।
सीएम योगी बुधवार शाम महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम में गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) के दीक्षा समारोह के पहले दिन बीएएमएस नवीन बैच के पैरामेडिकल के प्रथम बैच के विद्यार्थियों के साथ संवाद कर रहे थे। सभी विद्यार्थियों से सहजता से परिचय प्राप्त करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि बीएएमएस के विद्यार्थी आयुर्वेद के साथ योग व नेचुरोपैथी से भी जुड़ें। आयुर्वेद हानिरहित चिकित्सा पद्धति है। जबकि योग स्वस्थ को स्वस्थ रखने का विज्ञान है तो नेचुरोपैथी आरोपी का क्या वरदान है। यह सब हमारा आयुष है। कोरोना काल से ही दुनिया आयुष के पीछे भाग रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट में दुनिया के लोगों ने हल्दी का सेवन शुरू किया जबकि हल्दी प्राचीनकाल से ही भारतीय भोजन परम्परा का हिस्सा है। यह हमारी रसोई का अनिवार्य तत्व है।
योगी ने कहा कि जीवन में कुछ भी आसान या कठिन नहीं होता। हमारी सोच व हमारे प्रयास से किसी काम को कठिन या आसान बनाते हैंम हमें सफलता सकारात्मक सोच से ही मिलेगी। निराशाजनक सोच सफलता में बाधक होती है।
उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि हमेशा लीक से हटकर कुछ नया करने का प्रयास करिए। बड़ों के प्रति सम्मान का भाव रखते हुए लक्ष्य को ध्यान में रखकर खुद को तैयार करिए।
सीएम योगी ने कहा कि ईश्वर ने हम सबको बनाया है लेकिन सब की आकृतियां व बुद्धिमत्ता एक समान नहीं होती। हमारे फिंगरप्रिंट तक एक दूसरे से अलग होते हैं। इन सबके बावजूद मनुष्य एक समुदाय में रहता है और इसीलिए वह ब्रह्मांड पर विजय प्राप्त करता है।
बीएएमएस के नवप्रवेशी छात्रों को प्रेरित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋषि परंपरा की थाती आयुर्वेद के ग्रंथों का अध्ययन अवश्य करें। पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके सामने कई अवसर होंगे। वह चाहे तो एक विशेषज्ञ चिकित्सक के रूप में नौकरी कर सकते हैं या स्टार्टअप आदि से अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। आयुर्वेद के साथ योग व नेचुरोपैथी को जोड़कर वेलनेस सेंटर स्थापित कर सकते हैं। आयुर्वेद में अवसरों की कोई कमी नहीं है और खुद का कार्य शुरू कर आप बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी दे सकते हैं।
उन्होंने पैरामेडिकल छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि पैरामेडिक्स चिकित्सा तंत्र की रीढ़ हैं। प्रदेश सरकार पैरामेडिकल एजुकेशन को लगातार प्रोत्साहित कर रही है। पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों को सुव्यवस्थित करने के लिए एक अलग बोर्ड के गठन की कार्यवाही शुरू की गई है। अब तक इन पाठ्यक्रमों का संचालन स्टेट मेडिकल फैकल्टी से जोड़कर होता था। नसिर्ंग काउंसिल, फामेर्सी काउंसिल की तरह विद्यार्थियों को पैरामेडिकल काउंसिल से अनेक अवसर मिलेंगे।
विद्यार्थियों से संवाद के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौनिहालों पर काल बनकर टूटने वाली महामारी इंसेफेलाइटिस के नियंत्रण से जुड़ा अपना अनुभव भी साझा किया। उन्होंने कहा कि 1977 में पूर्वी उत्तर प्रदेश दस्तक देने वाली इंसेफेलाइटिस से चार दशक में पचास हजार से अधिक मौतें हुई थीं। किसी ने भी इस पर काबू पाने को लेकर जमीनी प्रयास नहीं किए। 2017 में जब वह मुख्यमंत्री बने तो इलाज के लिए चिकित्सा तंत्र को सु²ढ़ करने के साथ उन उपायों पर भी ध्यान दिया जिससे इंसेफेलाइटिस की बीमारी हो ही न। स्वास्थ्य सर्विलांस को मजबूत करने के अलावा शुद्ध पेयजल व स्वच्छता पर लोगों को जागरूक किया गया। परिणाम यह हुआ कि चार साल में ही यह बीमारी 96 प्रतिशत नियंत्रित हो गई। आज इंसेफेलाइटिस का कोई नाम लेने वाला नहीं है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में डिजिटल लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब व ऑनलाइन एग्जाम सेंटर का लोकार्पण भी किया। लाइब्रेरी, लैब व सेंटर का निरीक्षण कर इस संबंध में जानकारी ली। साथ ही उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय में रसशास्त्र के आचार्य प्रो. रामचंद्र रेड्डी की पुस्तक ‘योगरत्नाकर’ का विमोचन भी किया।