मुजफ्फरनगर। डीएम न्यायालय के फर्जी आदेश की प्रति चकबंदी न्यायालय में जमा करने के मामले के आरोपी अयाजुद्दीन की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के पीठासीन अधिकारी गोपाल उपाध्याय ने सुनवाई की।
सहायक शासकीय अधिवक्ता अरुण शर्मा और आशीष त्यागी ने बताया कि अयाजुद्दीन ने 12 दिसंबर 2023 को अपनी कृषि भूमि के लिए विपक्षी जावेद इकबाल के साथ चल रहे विवाद को लेकर एक प्रार्थनापत्र दिया था। आईजीआरएस संदर्भ प्रार्थनापत्र के साथ जिलाधिकारी न्यायालय से जारी आठ दिसंबर 2023 के एक कथित आदेश पत्र की प्रति भी चकबंदी विभाग के कार्यालय को दी गई। प्रकरण का निस्तारण अपने पक्ष में करने का आग्रह दर्शाया गया।
जांच शुरू हुई, तो डीएम का आदेश फर्जी निकला। उप जिलाधिकारी बुढ़ाना ने 29 फरवरी 2024 को अपनी जांच आख्या प्रस्तुत की थी। छह मार्च को आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश डीएम ने दिए थे।
डीएम के पेशकार राजकुमार की तहरीर पर अयाजुद्दीन और जावेद इकबाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया था। पुलिस ने पिछले महीने अयाजुद्दीन को बुढ़ाना के मोहल्ला काजीवाड़ा से गिरफ्तार किया था।
बचाव पक्ष की ओर से अदालत में प्रार्थना पत्र दिया गया, जिसे खारिज कर दिया गया। बचाव पक्ष का कहना था कि उनकी तरफ से कोई प्रार्थना पत्र या कूटरचित दस्तावेज जमा नहीं किया गया है, उन्हें झूठा फंसाया गया है।