अनाज के रूप में गेहूं का ही प्रयोग न करें। कभी-कभी इसमें मक्का, बाजरा, ज्वार, चना आदि मिलाकर खायें। मिला जुला अनाज शरीर को अधिक पोषण देता है।
बढिय़ा पॉलिश वाले चावल अधिक पौष्टिक नहीं होते। मोटे चावल अधिक पौष्टिक होते हैं। चावल खरीदते समय ध्यान दें कि अधिक महंगा चावल अधिक पालिश वाला होता है।
छिलकों वाली दाल अधिक प्रयोग में लाएं क्योंकि छिलके आंतों को रेशा देते हैं जिससे कब्ज नहीं होता। दालों के छिलकों में कई पौष्टिक तत्व होते हैं।
हमेशा साफ-सुथरी ताज़ी और क्वालिटी की सब्जी और फल खरीदें। दाग- धब्बों वाले फल और सब्जी न खरीदें।
मूली, गाजर, शलजम और चुकन्दर के पत्तों में कैल्शियम तथा विटामिनों की बहुलता होती है। उन पत्तों को फेंकिए मत। इनका प्रयोग सब्जी बनाते समय या सलाद में बारीक काट कर प्रयोग में लायें।
फल और सब्जी हमेशा मौसमी खरीदें क्योंकि बिना मौसम के फल और सब्जियों पर कीटनाशक दवाएं छिड़की जाती हैं और उन्हें कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से नुक्सान पहुंचाता है।
बच्चों को टाफी, चाकलेट के स्थान पर इडली, ढोकला और बंगाली रसगुल्ले खाने को दें। इडली, ढोकला खमीर उठा कर बनाये जाते हैं और रसगुल्ले दूध को फाड़ कर बनाए जाते हैं। इनमें उपस्थित प्रोटीन जल्दी हज़म होते हैं।
भोजन में मौसम के अनुसार मूली, गाजर, शलजम, खीरा, ककड़ी जैसी सब्जी को रोज़ थोड़ी मात्रा में सलाद के रूप में कच्ची खाने हेतु खरीदें। प्रतिदिन इन्हें ताजा़ खरीदें। इकटठे खरीद कर मत रखें।
– सुनीता गाबा