नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले राज्यसभा चुनाव की अग्निपरीक्षा में भाजपा ने इंडी गठबंधन को बड़ा राजनीतिक झटका दे दिया है। विपक्षी इंडी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार होने के बावजूद अपने विधायकों को एकजुट नहीं रख पाई तो वहीं देश की लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सांसद चुन कर भेजने वाले राज्य उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव भी अपने विधायकों को एकजुट नहीं रख पाए।
उत्तर प्रदेश से लेकर हिमाचल प्रदेश तक राज्यसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस और सपा के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर भाजपा उम्मीदवार की जीत की राह आसान की है, उससे यह भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले ही बड़े विपक्षी दलों के नेताओं में खलबली मची हुई है। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत को सुनिश्चित मानकर विपक्षी दलों के नेता भी अब भाजपा के साथ ही जुड़ना चाहते हैं।
राज्यसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो चुनाव आयोग द्वारा 15 राज्यों की कुल 56 सीटों पर चुनाव की घोषणा की गई थी, जिसमें से 12 राज्यों में 41 उम्मीदवार पहले ही निर्विरोध निर्वाचित घोषित हो चुके हैं। लेकिन तीन राज्यों – उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में सीट के मुकाबले ज्यादा उम्मीदवार होने के कारण बाकी बची 15 सीटों पर मंगलवार को चुनाव करवाया गया। हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार होने के बावजूद कांग्रेस अपने विधायकों की क्रॉस वोटिंग को नहीं रोक पाई, हालांकि इस पहाड़ी राज्य में भाजपा की जीत में भाग्य की भी बड़ी भूमिका रही।
हिमाचल प्रदेश में नौ विधायकों के क्रॉस वोटिंग के कारण ( कांग्रेस के 6 और कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे 3 निर्दलीय विधायक) भाजपा के हर्ष महाजन और कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी, दोनों को 34-34 वोट मिले। दोनों उम्मीदवारों को बराबर वोट मिलने के कारण पर्ची से विजेता का फैसला किया गया, जो भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में गया। वहीं उत्तर प्रदेश में भी विपक्षी गठबंधन को बड़ा झटका लगा है। विपक्षी गठबंधन के बड़े नेता अखिलेश यादव अपने विधायकों को एकजुट नहीं रख पाए और भाजपा ने सपा को बड़ा बड़ा झटका देते हुए अपने आठों उम्मीदवारों को राज्यसभा का चुनाव जितवा लिया।
सपा प्रमुख पुरजोर कोशिश के बावजूद अपने तीसरे उम्मीदवार को नहीं जिता पाए और भाजपा ने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेलते हुए उत्तर प्रदेश में अपने आठवें उम्मीदवार संजय सेठ को भी चुनाव जितवा लिया। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार मैदान में थे। भाजपा के सभी 8 उम्मीदवारों- सुधांशु त्रिवेदी, आरपीएन सिंह, चौधरी तेजवीर सिंह, साधना सिंह , अमरपाल मौर्य, संगीता बलवंत, नवीन जैन और संजय सेठ को जीत हासिल हुई, वहीं सपा के सिर्फ 2 उम्मीदवार – जया बच्चन और रामजी लाल सुमन ही चुनाव जीत पाए, लेकिन सपा के तीसरे उम्मीदवार को सपा विधायकों की क्रॉस वोटिंग के कारण हार का सामना करना पड़ा।
कर्नाटक में उम्मीद के मुताबिक कांग्रेस के तीन उम्मीदवारों- अजय माकन, सैयद नासिर हुसैन, जी.सी. चंद्रशेखर और भाजपा के एक उम्मीदवार- नारायणसा भांडगे को जीत हासिल हुई। वहीं जेडी (एस) से चुनाव लड़ रहे पांचवें उम्मीदवार- के. रेड्डी को हार का सामना करना पड़ा। राज्यसभा चुनाव में यह बड़ी जीत हासिल कर भाजपा ने सिर्फ विपक्षी गठबंधन को राजनीति के मैदान में ही नहीं पछाड़ा है, बल्कि इस जीत के साथ अब भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को राज्यसभा में भी बहुमत हासिल हो गया है।