Sunday, September 8, 2024

भागवत कथा से घर और समाज में पवित्रता बनी रहती है, जो सुख शांति का आधार है-व्यास

मुजफ्फरनगर। श्रीमदभागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के व्यास उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध कथावाचक शुभम रतूड़ी जीश्र के मुखारबिंद से आज सष्टम दिवस में गोवर्धन महाराज की कथा के अंतरगत व्यास जी ने सभी भक्तिो को उपदेश दिया की मानव को अभिमान नही करना चाहिए इंद्र के अभिमान को चूर्ण करने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन की पूजा करी रास पंचदया में व्यास जी ने सबको कथा श्रवण करवाई भगवन और भक्ति की व्याख्या की और व्यास ने कहाँ महारास में कैलाश से साक्षात भगवान भोलेनाथ आये और गोपेश्वर कहलाये। महाराज में सभी गोपिओ ने आनंदमय महसूस किया।

 

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व्यास ने बताया की पापी कंस के अत्याचार इतने बड़ चुके थे की वाह अपने भांजे को मरवाने के लिए मथुरा में मेले का आयोजन किया और अपने सभी रक्षसों का वध करवाय फिर स्वयं अपने भांजे श्री कृष्ण के हाथो से उद्धार करवाया और जेल से अपने माता देविका और वासुदेव को जेल से मुक्त करवाया “कलियुग में श्रीमद् भागवत कथा सुनने मात्र से ही मनुष्य का कल्याण हो जाता है। भागवत कथा ज्ञान का वह भंडार है जिसके वाचन और सुनने से वातावरण में शुद्धि तो आती ही है, साथ ही मन और मस्तिष्क भी स्वच्छ हो जाता है। यह बात बुधवार को बच्चन सिंह कालोनी में चल रही भागवत कथा में कथा व्यास आचार्य शुभम रतूड़ी महाराज ने कही।

उन्होंने कहा कि भागवत कथा से घर और समाज में पवित्रता बनी रहती है, जो सुख शांति का आधार है। कथा के ज्ञान को अपने जीवन में धारण करना चाहिए ताकि जीवन सफल हो सके। भक्त के अंदर जब भावना जागृत होती है, तब प्रभु के आने में देरी नहीं होती। प्रभु तो भाव के भूखे हैं, श्रद्धा भाव से समर्पित होकर उनकी उपासना करोगे तो वह अवश्य ही कृपा करेंगे। कि भागवत का उद्देश्य लौकिक कामना का अंत करना और प्राणी को प्रभु साधना में लगाना है। संत चलते-फिरते तीर्थ होते हैं जो संसार के प्राणियों को दिशा देने उन्हें सदमार्ग दिखाने आते हैं। भागवत कथा को जीवन में अपनाने उसके अनुसार स्वयं को ढालने से ही प्राणी अपना कल्याण कर सकता है। इसके श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं। कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है। इससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। कथा सुनने के लिए मंदिर परिसर में कथा के पहले दिन से ही सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचे।”कथा के मुख्य यजमान श्रीमती राजकुमारी देवी, शेखर, काजल देवी, कुमारी चांदनी एवं अन्य भक्त उपस्थित रहे, कथा के अंतरगत व्यास जी ने सभी भक्तिो को उपदेश दिया की मानव को अभिमान नही करना चाहिए इंद्र के अभिमान को चूर्ण करने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन की पूजा करी। रास पंचदया में व्यास जी ने सबको कथा श्रवण करवाई भगवन और भक्ति की व्याख्या की और व्यास जी ने कहाँ महारास में कैलाश से साक्षात भगवान भोलेनाथ आये और गोपेश्वर कहलाये। महारास में सभी गोपिओ ने आनंदमय महसूस किया।

 

व्यास जी ने बताया की पापी कंस के अत्याचार इतने बड़ चुके थे की वाह अपने भांजे को मरवाने के लिए मथुरा में मेले का आयोजन किया और अपने सभी रक्षसों का वध करवाय फिर स्वयं अपने भांजे श्री कृष्ण के हाथो से उद्धार करवाया और जेल से अपने माता देविका और वासुदेव को जेल से मुक्त करवाया “कलियुग में श्रीमद् भागवत कथा सुनने मात्र से ही मनुष्य का कल्याण हो जाता है। भागवत कथा ज्ञान का वह भंडार है जिसके वाचन और सुनने से वातावरण में शुद्धि तो आती ही है, साथ ही मन और मस्तिष्क भी स्वच्छ हो जाता है। यह बात बुधवार को बच्चन सिंह कालोनी में चल रही भागवत कथा में कथा व्यास आचार्य शुभम रतूड़ी महाराज ने कही।

 

उन्होंने कहा कि भागवत कथा से घर और समाज में पवित्रता बनी रहती है, जो सुख शांति का आधार है। कथा के ज्ञान को अपने जीवन में धारण करना चाहिए ताकि जीवन सफल हो सके। भक्त के अंदर जब भावना जागृत होती है, तब प्रभु के आने में देरी नहीं होती। प्रभु तो भाव के भूखे हैं, श्रद्धा भाव से समर्पित होकर उनकी उपासना करोगे तो वह अवश्य ही कृपा करेंगे। कि भागवत का उद्देश्य लौकिक कामना का अंत करना और प्राणी को प्रभु साधना में लगाना है। संत चलते-फिरते तीर्थ होते हैं जो संसार के प्राणियों को दिशा देने उन्हें सदमार्ग दिखाने आते हैं।

 

 

भागवत कथा को जीवन में अपनाने उसके अनुसार स्वयं को ढालने से ही प्राणी अपना कल्याण कर सकता है। इसके श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं। कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है। इससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। कथा सुनने के लिए मंदिर परिसर में कथा के पहले दिन से ही सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचे।”कथा के मुख्य यजमान श्रीमती राजकुमारी देवी, शेखर, काजल देवी, कुमारी चांदनी एवं अन्य भक्त उपस्थित रहे।

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