मुजफ्फरनगर। निराश्रित और छुट्टा पशुओं की देखभाल और रखरखाव के साथ ही इस समस्या के निदान के लिए केन्द्रीय राज्यमंत्री एवं स्थानीय सांसद डॉ. संजीव बालियान के ड्रीम प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य को पूर्ण कराने के लिए केन्द्र और यूपी सरकार के साथ ही स्थानीय प्रशासन जितनी शिद्दत के साथ जुटा था, इसमें उतना ही बड़ा विवाद खड़ा होता नजर आ रहा है।
केन्द्रीय राज्यमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के निर्माण में अभी तक किसानों का विरोध ही देखने को मिल रहा था, लेकिन अब इसके वजूद में आने को लेकर अदालती अडंगा खड़ा हो गया है। अदालत ने एक कृषि व्यवसाय ग्रुप की याचिका पर काऊ सेंचुरी के निर्माण को लेकर चल रही कार्यवाही पर स्टे आदेश जारी कर दिया है।
इसको केन्द्रीय राज्यमंत्री के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कोर्ट के आदेश के साथ ही काऊ सेंचुरी के निर्माण की कार्यवाही और प्रक्रिया पर रोक लगती नजर आ रही है। निराश्रित पशु पशुओं के लिए बनने वाले इस प्रोजेक्ट के अधर में लटक जाने के साथ ही इसमें अब सालों का समय भी लग सकता है।
बता दें कि यूपी में भाजपा सरकार आने के साथ ही आवारा, निराश्रित और छुट्टा पशुओं की समस्या एक बड़ा मुद्दा बनी थी। इसके बाद लगातार हुए चुनावों में यह बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया गया था। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी आवारा पशुओं की समस्या बड़ी राजनीतिक गरमाहट पैदा करने वाली साबित हुई थी। सरकार पर लगातार आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए दबाव भी बनाया जाता रहा।
किसान आंदोलन में भी यह बड़ा मुद्दा रहता है। इसी को लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान की पहल पर केन्द्र सरकार द्वारा जनपद के पुरकाजी क्षेत्र के मेघा चंदन गांव में काऊ सेंचुरी के निर्माण का प्रस्ताव पारित किया। इसके लिए राज्य सरकार ने भी सहयोग किया है।
केन्द्रीय राज्यमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर केन्द्र सरकार की टीम ने आकर निरीक्षण और सर्वे किया और भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही जिला प्रशासन ने शुरू करा दी। इसी बीच कुछ किसानों ने अपनी जमीन जबरदस्ती छीनने का आरोप लगाया, तो बड़ा मुद्दा बन गया। विवादों के बीच भी काऊ सेंचुरी के निर्माण का कार्य तेजी से चलता रहा, लेकिन अब इसमें अदालती आदेश का अडंगा लग चुका है। इस निर्माण के खिलाफ हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया है।
केंद्रीय पशुपालन, मत्स्य एवं डेयरी विकास विभाग राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान पुरकाजी खादर क्षेत्र के मेघा चंदन गांव की करीब 52 हेक्टेयर भूमि पर 70 करोड़ की लागत से गाय अभ्यारण्य यानी काऊ सेंचुरी को स्थापित कराने का खाका खींच रहे थे। उन्होंने इसको अपने ड्रीम प्रोजेक्ट और यूपी में सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू कराया। उनका दावा था कि यह काऊ सेंचुरी देश की पहली ऐसी गोशाला होगी, जहां पर एक साथ पांच हजार से ज्यादा गोवंश को रखने की सुविधा के साथ ही अन्य व्यवस्थाएं भी होंगी।
जनपद में जिला प्रशासन द्वारा मेघा चंदन गांव में भूमि चिन्हित की गई थी, तो इसके बाद से ही केंद्र और प्रदेश सरकार ने काऊ सेंचुरी स्थापना को लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी थी। भूमि का अधिग्रहण कर शासन से बजट भी स्वीकृत करा लिया गया था।
इसी बीच काऊ सेंचुरी के लिए अधिग्रहित की जा रही 52 हेक्टेयर में से 9 हेक्टेयर भूमि पर विवाद की स्थिति पैदा हो गई थी। स्थानीय किसानों और कुछ अन्य लोगों ने भूमि के पट्टे उनके नाम होने की बात कहते हुए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था।
किसानों ने उनके पट्टे निरस्त कराते हुए जबरन भूमि छीनने के आरोप लगाये तो हंगामा खड़ा हो गया। मामले को लेकर किसान संगठन धरना भी दे रहे थे और इसके बाद भी प्रशासन की कार्यवाही निरंतर जारी रहने के साथ ही विवाद भी बना रहा।
सूत्रों के अनुसार पुरकाजी खादर क्षेत्र के मेघा चंदन गांव के आसपास की कुछ भूमि पर डीएस एग्रो डेवेलपर्स के तत्वाधान में किसानों के द्वारा खेती की जा रही है। क्षेत्र की कुछ भूमि को अपना बताते हुए ग्रुप की ओर से काऊ सेंचुरी के निर्माण में भूमि दिये जाने का विरोध किया गया ।
प्रशासन ने ग्रुप की बात को अनदेखा किया, तो ग्रुप की ओर से हाईकोर्ट में काऊ सेंचुरी स्थापना पर स्टे देने की याचना करते हुए याचिका डाली गई थी। बताया गया है कि जिस पर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए स्टे आदेश दिया है।
काऊ सेंचुरी पर हाईकोर्ट के स्टे दिए जाने पर केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान के ड्रीम प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है। इसमें अब प्रशासन को भी अपनी कार्यवाही को रोकना पड़ सकता है। वहीं काऊ सेंचुरी के निर्माण के लिए स्टे आने पर कुछ किसानों में खुशी भी है पर ज़िले के किसानों को आवारा पशुओं से छुटकारा मिलने की जो उम्मीद जगी थी उसे बड़ा झटका भी लगा है।