Friday, May 17, 2024

बिल्वेश्वर मंदिर समिति का विवाद बढ़ा, वंशवाद का आरोप लगाकर सीएम से शिकायत

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मेरठ। बाबा महाबिल्वेश्वर नाथ महादेव मंदिर समिति का विवाद गहरा गया है। मंदिर के मुख्य गेट पर एक बैनर लगा है। इस बैनर को लेकर विवाद बढ़ा है। जिसमें वंशवाद का आरोप लगाकर डीएम और सीएम से शिकायत की है।

राजनीति ही नहीं धार्मिक संस्थाएं परिवारवाद के आरोपों से घिरने लगी हैं। मेरठ में बाबा महाबिल्वेश्वर नाथ महादेव मंदिर के बाहर लगे बैनर पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं। इस बैनर में न केवल पारिवारिक ट्रस्टी का नाम और फोटो छपा है, बल्कि भावी पारिवारिक ट्रस्टी का भी नाम और फोटो छपा है। मंदिर परिसर में स्थापित दूसरे मंदिर और संस्कृत विद्यालय का संचालन कर रहीं समितियों ने मंदिर में वंशवाद शुरू करने का आरोप लगाते हुए डीएम और सीएम से शिकायत की है।

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सदर बाजार स्थित महाबिल्वेश्वर नाथ मंदिर पुरातत्व विभाग लखनऊ द्वारा रजिस्टर्ड है। मंदिर पारिवारिक ट्रस्ट चान्द रानी के अधीन और स्वामित्व में बताया जाता है। मंदिर के बाहर लगे बैनर में ट्रस्ट के संरक्षक मेहंतानी सुधा गोस्वामी, मैनेजिंग ट्रस्टी एवं कोषाध्यक्ष महंत दायनंद, महासचिव विशाल स्वामी, पारिवारिक ट्रस्टी प्रशांत स्वामी और पारिवारिक भावी ट्रस्टी को दिखाया गया है। इस बैनर के सामने आते ही विरोध शुरू हो गया।

मंदिर परिसर में ही स्थापित जगन्नाथ मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष पवन गर्ग का आरोप है कि महाबिल्वेश्वर नाथ मंदिर रामायणकालीन है। दयानंद स्वामी दान दक्षिणा लेते हुए अब मंदिर को अपना बता रहे हैं। मंदिर को बेचने की तैयारी की जा रही है। इस संबंध में जिलाधिकारी से शिकायत की गई है।

वहीं, जगन्नाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष विजय गोयल विज्जी ने कहा कि परिसर में स्थित अन्य मंदिर की समितियों में कई मुकदमे कर के मंदिरों के विकास कार्य में बाधा डाली जा रही है। अब भावी ट्रस्टी का भी बोर्ड लगा दिया गया है।
इसी परिसर में बने श्री बिल्वेश्वर संस्कृत महा विद्यालय के अध्यक्ष महेश सिंघल ने बताया कि विद्यालय का 202 साल पुराना रिकॉर्ड है। जगन्नाथ मंदिर, शिव मंदिर और विद्यालय तीनों अलग-अलग संस्था हैं। संपूर्ण भूमि और मंदिर को महाबिल्वेश्वर नाथ मंदिर के महंत दयानंद स्वामी अपना बताते हैं। दयानंद स्वामी ने उन पर कई मुकदमे कर रखे हैं। छावनी परिषद की भूमि को भी यह अपना बता रहे हैं।

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