एक समय था जब बायजूस को भारत की सबसे बड़ी और सफल एजुकेशन टेक्नोलॉजी (एडटेक) कंपनी के रूप में देखा जाता था। यह कंपनी बच्चों और युवाओं के लिए ऑनलाइन लर्निंग का सबसे प्रभावशाली माध्यम बन चुकी थी।
बायजूस के संस्थापक बायजू रविंद्रन ने अपने टीचिंग के अनोखे अंदाज और बिजनेस मॉडल के जरिए करोड़ों छात्रों और उनके माता-पिता का विश्वास जीता।
बायजूस की शुरुआत और कामयाबी का सफर
बायजू रविंद्रन ने 2006 में अपने टीचिंग करियर की शुरुआत की थी। शुरुआत में उन्होंने अपने कुछ दोस्तों को कैट (CAT) परीक्षा की तैयारी कराने में मदद की। रविंद्रन के पढ़ाने का अंदाज इतना लोकप्रिय हो गया कि जल्द ही वे बड़े ऑडिटोरियम में सैकड़ों छात्रों को पढ़ाने लगे। 2009 में उन्होंने ‘बायजूस क्लासेस’ की स्थापना की और अपने बिजनेस को पूरे भारत में फैलाने की योजना बनाई।
उनके पढ़ाने के तरीके को देखकर लाखों छात्र उनकी क्लास में शामिल होते गए। बायजूस का बिजनेस मॉडल बेहद प्रभावी था। छात्रों को शुरुआती क्लास मुफ्त में दी जाती थी, और बाद में उन्हें पेड कोर्सेज में शामिल किया जाता था। 2015 में बायजूस ने अपना पहला मोबाइल ऐप लॉन्च किया, जिससे वह छात्रों तक डिजिटल माध्यम से पहुंचने लगे। इसके बाद, बायजूस ने तेजी से ग्रोथ की और 2018 में यह भारत की सबसे बड़ी एडटेक कंपनी बन गई। इसे ‘यूनिकॉर्न’ का दर्जा प्राप्त हुआ, यानी इसकी वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई थी।
कोविड-19 महामारी और बायजूस की विस्फोटक ग्रोथ
2020 में कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को बदल दिया। स्कूल और कॉलेज बंद हो गए और छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा का सहारा लेना पड़ा। यह समय बायजूस के लिए एक बड़ा अवसर साबित हुआ। लॉकडाउन के दौरान, बायजूस ने अपने कोर्सेज मुफ्त में उपलब्ध कराए, जिससे छात्रों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई। छात्रों और उनके माता-पिता को ऑनलाइन लर्निंग का यह तरीका पसंद आने लगा। बायजूस के ऐप का इस्तेमाल करने वालों की संख्या करोड़ों में पहुंच गई।
बायजूस की बढ़ती लोकप्रियता ने वेंचर कैपिटल इन्वेस्टर्स को आकर्षित किया। बायजूस को सिकोया और मार्क जुकरबर्ग की कंपनी समेत कई बड़ी कंपनियों से भारी फंडिंग मिली। इसके साथ ही बायजूस ने अन्य एडटेक स्टार्टअप्स का अधिग्रहण भी शुरू कर दिया, जिनमें वाइटहैट जूनियर, ग्रेट लर्निंग, और आकाश इंस्टीट्यूट जैसे बड़े नाम शामिल थे। इस अधिग्रहण से बायजूस की वैल्यूएशन 22 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई, लेकिन इसके पीछे कंपनी ने भारी कर्ज लिया, जो उसके पतन की शुरुआत साबित हुआ।
गिरावट की शुरुआत: फाइनेंशियल गलतियां और आक्रामक बिक्री
कोविड-19 के बाद जब स्कूल और कॉलेज फिर से खुलने लगे तो बायजूस की ग्रोथ धीमी होने लगी। छात्रों को वापस ऑफलाइन क्लासेस की ओर लौटने में ज्यादा रुचि दिखाने लगी। इसके बावजूद, बायजूस ने अपने बिजनेस मॉडल में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया। उन्होंने आक्रामक सेल्स स्ट्रेटजी अपनाई जिसमें सेल्समैन को छात्रों के माता-पिता पर दबाव बनाकर कोर्स बेचने के लिए मजबूर किया गया। इस आक्रामक रणनीति ने बायजूस की छवि को नुकसान पहुंचाया।
कंपनी की आक्रामक सेल्स पिच में छात्रों और उनके माता-पिता को यह एहसास कराया जाता था कि यदि वे बायजूस के कोर्स नहीं लेते तो उनके बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में पीछे रह जाएंगे। कई माता-पिता को झूठी जानकारी दी गई और भारी फीस वसूली गई। इसके अलावा, कंपनी के कस्टमर सर्विस में भी समस्याएं आनी शुरू हो गईं। ग्राहकों को रिफंड और सब्सक्रिप्शन कैंसिलेशन में काफी परेशानियां उठानी पड़ीं, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर गहरा असर पड़ा।
भारी कर्ज और कानूनी समस्याएं
बायजूस के पतन का सबसे बड़ा कारण उसका भारी कर्ज था। कंपनी ने नए स्टार्टअप्स को खरीदने के लिए भारी-भरकम कर्ज लिया था जो कि उसके बिजनेस मॉडल के अनुकूल नहीं था। जैसे-जैसे कर्ज बढ़ता गया, बायजूस की फाइनेंशियल स्थिति बिगड़ती गई। 2022 में, कंपनी ने अपने कई कर्मचारियों को निकालना शुरू किया और अपने कई ऑफिस भी बंद कर दिए।
इसके अलावा, बायजूस पर कानूनी मामलों की भी मार पड़ी। अमेरिकी कंपनियों ने बायजूस पर लोन डिफॉल्ट और टर्म्स वायलेशन के आरोप लगाए जिससे कंपनी की साख पर और बुरा असर पड़ा। सितंबर 2023 में बीसीसीआई ने भी बायजूस पर पेमेंट डिफॉल्ट के कारण इंसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स शुरू कर दीं। इस कानूनी लड़ाई ने बायजूस को और भी ज्यादा कमजोर बना दिया।
बायजूस का पतन: क्या भविष्य में वापसी संभव है?
2023 आते-आते बायजूस की वैल्यूएशन लगभग 99% गिर चुकी थी। एक समय 22 बिलियन डॉलर की वैल्यूएशन वाली
यह कंपनी अब केवल 225 मिलियन डॉलर पर पहुंच गई थी। कंपनी के पास अब सीमित संसाधन बचे थे, और उसे अपनी कर्ज की अदायगी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था। कंपनी ने अपने यूएस-आधारित लर्निंग प्लेटफॉर्म ‘एपिक’ को बेचना शुरू कर दिया और अन्य स्टार्टअप्स भी बेचने की योजना बनाई।
बायजूस के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसकी खोई हुई विश्वसनीयता को वापस पाना है। कंपनी को अपने बिजनेस मॉडल में बड़े बदलाव करने होंगे और छात्रों और उनके माता-पिता के साथ पारदर्शिता बनानी होगी। इसके अलावा, कंपनी को अपने कर्ज का प्रबंधन करने और वित्तीय स्थिरता हासिल करने की दिशा में भी काम करना होगा।
हालांकि, बायजूस की वापसी मुश्किल नजर आ रही है लेकिन अगर सही कदम उठाए जाएं, तो यह असंभव नहीं है।
निष्कर्ष: बायजूस का पतन एक उदाहरण है कि कैसे एक सफल कंपनी गलत वित्तीय निर्णयों और आक्रामक बिजनेस रणनीतियों के कारण बर्बाद हो सकती है। यह घटना उन सभी स्टार्टअप्स के लिए एक सीख है कि केवल ग्रोथ और वैल्यूएशन पर ध्यान केंद्रित करने से ज्यादा जरूरी है ग्राहकों के साथ विश्वास बनाना और उन्हें सही सेवाएं प्रदान करना।
बायजूस की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि शिक्षा का मकसद केवल मुनाफा कमाना नहीं बल्कि छात्रों के भविष्य को बेहतर बनाना होना चाहिए।
-शिवानंद मिश्रा