नोएडा। थाना सेक्टर 63 पुलिस ने एक अवैध कॉल सेंटर का पर्दाफाश करते हुए उसके मालिक और निदेशक को गिरफ्तार किया है। ये लोग विभिन्न कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटरशिप दिलवाने के नाम पर लोगों से करोड़ों की ठगी कर चुके हैं। इस काल सेंटर से 3 लैपटॉप, 7 डेस्क्टॉप कम्प्यूटर, 1 प्रिंटर, 1 स्टाम्प मोहर, 12 पम्पलेट, 16 डायरी, 74 सर्टिफिकेट एवं 2 अदद मोबाइल बरामद किये गये हैं।
पुलिस उपायुक्त जोन द्वितीय शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि एक सूचना के आधार पर आज थाना सेक्टर-63 पुलिस ने एक अवैध कॉल सेंटर पर छापेमारी की। उन्होंने बताया कि वहां से कॉल सेंटर के मालिक भूपल सिंह पुत्र मोहन सिंह और निदेशक दिगपाल सिंह किरौला पुत्र भोपाल सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि वहां काम कर रहे कुछ और लोगों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। डीसीपी ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि आरोपी विभिन्न माध्यमों से लोगों से संपर्क करके विभिन्न कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटरशिप दिलवाने के नाम पर लोगों से अब तक करोड़ों की ठगी कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि मौके से बरामद लैपटॉप, कंप्यूटर और दस्तावेज का अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हिरासत में लिए गए लोगों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार अभियुक्तों द्वारा सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार करके ऐसे उत्पादकों को प्रलोभित करते थे, जो किसी भी प्रकार के सामान का उत्पादन करके थोक में खरीदकर अपने ब्रान्ड के नाम से बेचना चाहते थे। अभियुक्तों द्वारा ऐसे लोगों को बताया जाता था कि यदि उत्पादक इन्हें 50 हजार से 1.50 लाख रुपये तक का काम के अनुसार भुगतान करने पर हम आपके सामान की बिक्री के लिये देश के विभिन्न राज्यों में डिस्ट्रीब्यूटर उपलब्ध करायेंगे, जो आपके सामान को जल्दी बिकवाकर आपकी कम्पनी के मुनाफे को कई गुना बढ़ा देंगे।
इस प्रकार अभियुक्तों द्वारा उत्पादकों से लाखों रूपये की ठगी की जाती थी तथा उत्पादक का न ही कोई सामान बिकवाया जाता था और न ही उन्हें डिस्ट्रीब्यूटर उपलब्ध कराया जाता था। उन्होंने बताया कि अभियुक्तों द्वारा अधिकतर गैर राज्य के उत्पादकों को प्रलोभित करके अपना शिकार बनाया जाता था, जिससे कि कोई इनके ऑफिस आकर इनका विरोध ना कर सके। उन्होंने बताया कि अभियुक्तों द्वारा पूछताछ के दौरान बताया गया कि वे लोग अपनी कम्पनी का सोशल मीडिया फेसबुक, इन्स्टाग्राम व अन्य प्रकार से विज्ञापन करके विक्रेता, उत्पादकों को प्रलोभित कर ठगी करते थे।