नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अन्य देशों द्वारा भारत में सस्ते और घटिया क्वालिटी के सामानों की डंपिंग को रोकने के लिए एक टास्कफोर्स का गठन किया है। यह जानकारी एक शीर्ष सरकारी अधिकारी की ओर से बुधवार को दी गई। केंद्र ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण दुनिया के कई देश यूएस को सामान निर्यात नहीं कर पा रहे हैं। केमिकल और पेट्रोकेमिकल्स डिपार्टमेंट में पेट्रोकेमिकल्स के संयुक्त सचिव दीपक मिश्रा ने कहा, “एक नई विश्व व्यवस्था विकसित हो रही है, जिसमें टैरिफ और जवाबी टैरिफ की घोषणा लगभग एक ही समय में की जा रही है। इस कारण अमेरिका को होने वाला निर्यात फिर से हमारी ओर निर्देशित किया जा सकता है।” उन्होंने आगे कहा, “इससे बचने के लिए हमें डंपिंग और शिकारी मूल्य निर्धारण के खिलाफ सतर्क रहने की आवश्यकता है। स्थिति पर बारीकी से नजर रखने के लिए वाणिज्य मंत्रालय के तहत एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है।”
एसोचैम द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित ‘इंडिया स्पेशियलिटी केमिकल्स कॉन्क्लेव’ को संबोधित करते हुए मिश्रा ने यह भी कहा कि भारत के केमिकल सेक्टर को “इस डेवलपमेंट से लाभ हो सकता है।” उन्होंने कहा, “हम भारत के लिए केमिकल के पंजीकरण, मूल्यांकन, प्राधिकरण और प्रतिबंध (आरईएसीएच) ढांचे को विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं। इसके एक बार लागू हो जाने के बाद, उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण मानदंडों और गुणवत्ता नियंत्रण के अनुरूप ब्रांड किया जा सकेगा।” एसोचैम नेशनल काउंसिल ऑन केमिकल्स एंड पेट्रोकेमिकल्स के को-चेयरमैन कपिल मल्होत्रा ने कहा, “जैसे-जैसे अमेरिकी टैरिफ की धूल बैठनी शुरू हो रही है, केमिकल सेक्टर की गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है और दुनिया भर से इंक्वायरी आ रही है।” एसोचैम नेशनल काउंसिल ऑन केमिकल्स एंड पेट्रोकेमिकल्स के चेयरमैन सागर कौशिक ने कहा कि केमिकल का वैश्विक बाजार लगभग 6 ट्रिलियन डॉलर का है और इसका 60 प्रतिशत कारोबार वैश्विक स्तर पर होता है, जो विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों और विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक अवसर प्रदान करता है।