देश की सबसे संवेदनशील व सुरक्षित समझी जाने वाली राजधानी दिल्ली में करवा चौथ और दीपावली के ठीक दस दिन पहले विस्फोट की वारदात ने तमाम सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। तमाम एजेंसियां एलर्ट मोड में आ कर जांच में जुटी है। प्रशांत विहार इलाके में सीआरपीएफ स्कूल के पास हुए ब्लास्ट में कई एंगल से तफ्तीश हो रही है। सीआरपीएफ की टीम ने जांच कर ली है तो, दूसरी एजेंसी ने भी मौका मुआयना किया। जांच स्पेशल सेल या फिर केंद्रीय जांच एंजेसी को भी ट्रांसफर हो सकती है। अभी तक जो सामने आया, उसमें शक है कहीं ये किसी पाकिस्तानी आंतकी लिंक से लेकर लोकल ग्रुप का काम तो नहीं। वहीं ये बात भी सामने आ रही है कि ब्लास्ट करने वाला कोई केमिकल मेन है, जिसे केमिकल की अच्छी जानकारी थी।
जांच एजेंसियां मान रही है कि इसके पीछे कोई बड़ी साजिश का रिहर्सल छिपा हो सकता है ? शायद दहशतगर्द या अलगाववादी संगठन ये देखना चाहते हों कि विस्फोट की घटना पर दिल्ली की जांच एजेंसी कितनी सक्रियता दिखाती हैं ? यह भी हो सकता है कि हमारी जांच एजेंसियों की क्षमता को परखने के लिए यह विस्फोट किया गया हो? ऐसी आंशका इसलिए लग रही है, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने भी किसी बड़ी साजिश से फिलहाल इनकार नहीं किया है।
सबसे ज्यादा चिंताजनक यह है कि दिल्ली के रोहिणी में सीआरपीएफ स्कूल के पास बम विस्फोट के बाद अब देशभर के अन्य राज्यों में सीआरपीएफ स्कूलों में बम विस्फोट को लेकर धमकी दी गई है। खबर है कि देशभर के सीआरपीएफ स्कूलों को ईमेल के जरिये यह धमकी दी गई है। इनमें से दो स्कूल दिल्ली और एक हैदराबाद में हैं। हालांकि ईमेल के फर्जी होने का संदेह है। इसके बावजूद ताजा धमकी ने दिल्ली समेत सभी स्कूलों में दहशत फैला दी है। माना जा रहा है कि यह ईमेल किसी ने दहशत फैलाने के लिए किया है। मेल भेजने वालों ने मेल को लिस्टेड स्कूल के कमरों में नाइट्रेट आधारित आईईडी ब्लास्ट करने की बात कही है। ईमेल भेजने वाले ने सुबह 11 बजे से पहले सभी स्कूलों को खाली करने के लिए भी कहा है। दिल्ली के रोहिणी में सी.आर.पी.एफ. स्कूल में पहले ही धमाका हो चुका है। इस धमाके को लेकर अभी भी सुरक्षा एजेंसिया अभी भी कुछ ठोस जानकारी नहीं हासिल कर पाई हैं। इसे अब भी रहस्यमय विस्फोट बताया जा रहा है। इस मामले में आरोपी अभी भी फरार है।
दिल्ली में इससे पहले भी कई बार बम ब्लास्ट और आतंकी घटनाएं हुई हैं। पर उनमें और इस घटना में कुछ फर्क है। 20 अक्टूबर को सुबह फटे बम के बाद दूर-दूर तक धुआं ही धुआं फैल गया। लोगों को सांस लेने में दिक्कते हुई। तेज बदबू इलाके में फैल गई। आसपास के घरों की नीव भूकंप की भांति हिल गई। गौरतलब है कि गृह मंत्रालय की खुफिया एजेंसी आईबी के पास इस तरह के इनपुट थे कि त्योहारों के वक्त दिल्ली- एनसीआर में कहीं न कहीं कोई आतंकी घटना घटने की आशंका है। कमोबेश वैसा होता भी दिखाई दिया। खुफिया इनपुट के बावजूद अगर ऐसी घटना घटती है तो कानून तंत्र, खुफिया विभाग, एंटी टेरर विंग पर सवालिया निशान उठना लाजिमी हो जाता है। अगर वे समय पर सजग होते तो ये हादसा शायद नहीं होता। पर, अक्सर होता यही है जिम्मेदार एजेंसियां इस तरह की नाकामी कभी अपने पर नहीं लेतीं। । दिल्ली में कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। बॉर्डर पर किसानों का पहरा है। भीड़भाड़ तो सदैव दिल्ली में रहती ही है। इसके अलावा पूरी केंद्र सरकार, ब्यूरोक्रेट लॉबी सभी यहीं बसती है। इसलिए देश की राजधानी दिल्ली में खुफिया एजेंसियों और कानून तंत्र को चौबीसों घंटे चौकन्ना रहना चाहिए। पर, अफसोस ऐसा होता नहीं? दहशतगर्द उनकी नाक के नीचे घटनाओं को अंजाम देकर चुपके से निकल जाते हैं, उसके बाद जांच के नाम पर लाठी पीटी जाती है। फिलहाल, ऐसी बातों पर गौर न कर, मौजूदा घटना की जड़ तक पहुंचने की आवश्यकता है।
दिल्ली के रोहिणी में ब्लास्ट के बाद देर रात पाकिस्तान से चलने वाले टेलीग्राम चैनल पर बम धमाकों के पीछे खालिस्तानी आतंकियों के हाथ होने का दावा किया जा रहा है। टेलीग्राम चैनल ‘जस्टिस लीग इंडिया पर सीसीटीवी फुटेज डालकर बम धमाके का दावा किया गया है, उसके बाद इस मैसेज को पाकिस्तान से चलने वाले कई टेलीग्राम चैनल पर सर्कुलेट किया गया है। दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने टेलीग्राम मैसेंजर को पत्र लिखकर टेलीग्राम चैनल जस्टिस लीग इंडिया के बारे में जानकारी मांगी है। पुलिस अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से भी जानकारी मांग रही है। टेलीग्राम ने अभी तक दिल्ली पुलिस को कोई जवाब नहीं दिया है। जांच जारी है, धमाके के सिलसिले में अभी तक किसी संगठन का नाम सामने नहीं आया है। सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। एफएसएल टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर इसके सैंपल लिए। मौके से सफेद पाउडर और कुछ तारनुमा चीजें भी बरामद हुई हैं। इसी बीच मौके पर दमकल की गाडिय़ां भी पहुंची। शुरुआती जांच में आशंका जताई जा रही है कि धमाके में हाई इंटेंसिव एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल किया गया है। छोटा क्रूड बम भी हो सकता है। आतंकी हमला होने की आशंका को देखते हुए एनएसजी की टीम भी मौके पर पहुंच गई है। मौके पर पहुंचने के बाद एनएसजी ने घटनास्थल को अपने कब्जे में ले लिया है। फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) टीम के सूत्रों के मुताबिक, शुरुआती जांच में क्रूड बम जैसा मटेरियल मिला है। हालांकि, पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद ही आधिकारिक जानकारी मिल पाएगी।
रोहिणी स्थित प्रशांत विहार इलाके में हुए इस धमाके ने एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं। राष्ट्रीय राजधानी में बीते 13 साल बाद इस तरह का धमाका हुआ है। सुरक्षा एजेंसियों ने पांच घंटे तक घटनास्थल की जांच की। इससे पहले सितंबर 2011 में दिल्ली हाईकोर्ट में धमाका हुआ था जिसमें 11 लोगों की मौत हुई थी। वहीं जनवरी 2022 में गाजीपुर फूल मंडी के गेट पर बैग में आईईडी विस्फोटक बरामद हुआ था। जिसे एनएसजी के बम निरोधक दस्ते की टीम ने एक बड़ा गड्ढा कर उसमें बम को निष्क्रिय कर दिया था। जांच में सामने आया था कि बम को बनाने में आरडीएक्स और अमोनियम नाइट्रेट के साथ ही छर्रे का इस्तेमाल किया गया था। वहीं दिसंबर 2023 में इजराइली दूतावास के बाहर भी धमाका हुआ था, लेकिन उसमें कोई हताहत नहीं हुआ था।
एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि दिल्ली पुलिस ने सीआरपीएफ स्कूल विस्फोट जांच के सिलसिले में आसपास और सामने के बाजार के सभी सीसीटीवी डीवीआर को अपने कब्जे में ले लिया है। सीसीटीवी फुटेज में एक संदिग्ध को सफेद टी-शर्ट पहने हुए घटनास्थल पर देखा जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि विस्फोट से एक रात पहले घटनास्थल पर गतिविधि देखी गई थी। दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, विस्फोटक को पॉलीथिन की थैली में लपेटकर आधा से एक फुट गहरे गड्ढे में लगाकर रखा गया था। इसके बाद गड्ढे को कचरे से ढक दिया गया था। वैसे जिस सीआरपीएफ स्कूल की बाउंड्री के पास ब्लास्ट हुआ वो रविवार होने के कारण बंद था। साथ ही वक्त सुबह का था और स्थानीय लोगों की आवाजाही भी न के बराबर थी। अगर ये घटना वर्किंग डे में होती तो जानमाल का काफी नुकसान हो सकता था । रविवार तड़के स्कूल के बाहर फटे इस बम की तेज आवाज ने पूरी दिल्ली में दहशत जरूर फैला दी है। घटना के बाद पुलिस ने एहतियातन पूरी दिल्ली को अलर्ट पर रखा है और सर्तकता बढ़ा दी है।
सीआरपीएफ स्कूल राजधानी का जाना माना स्कूल है जहां पांच श्रेणी में छात्र-छात्राओं को सिलेक्ट किया जाता है। इसमें सीआरपीएफ अधिकारियों के बच्चे, सीआरपीएफ के रिटायर्ड और हैंडीकैप अधिकारियों के बच्चे, अन्य पैरामिलिट्री फोर्सेस (आईटीबीपी, बीएसएफ आदि) के जवानों के बच्चे पढ़ते हैं। यदि कुछ सीट खाली रहती है तो नानफोरसेज पेरेंट्स के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है। दिल्ली सरकार की नाक के नीचे विस्फोट का यह गंभीर मामला है सरकार को गंभीरता से सख्त कदम उठाने चाहिए।
(मनोज कुमार अग्रवाल -विनायक फीचर्स)