भोपाल। दीपावली पर धन लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मिट्टी के दीपक बनाने वाले कुम्हारों के चाक ने गति पकड़ ली है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा ‘वोकल फॉर लोकल’ स्वदेशी अपनाओ के आहवान के बाद कुम्हारों को इस बार अच्छी बिक्री की उम्मीद है।
जनसम्पर्क अधिकारी मनोज श्रीवास्त ने रविवार को बताया कि इन दिनों कटनी जिले के बिलहरी, उमरियापान और कांटी सहित अन्य स्थानों के कुम्हारों का पूरा परिवार ही मिट्टी के दीपक बनाने के काम में हाथ बंटा रहा है, कोई मिट्टी गूंथने में लगता है,तो किसी के हाथ में चाक पर मिट्टी के बर्तनों को आकार दे रहे हैं। महिलाओं को अलाव (आवा) जलाने व पके हुए बर्तनों को व्यवस्थित रखने का जिम्मा सौंपा गया है। साथ ही वे विभिन्न रंगों से बर्तनों को सजाने में जुटी हैं।
ग्राम पहाड़ी निवार निवासी शिवकुमार कुम्हार कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा लोकल फॉर वोकल की अपील की वजह से मिट्टी के दीये की मांग पिछले साल की तुलना में इस साल बढ़ी है। वहीं बालू कुम्हार बताते हैं कि करीब डेढ़ -दो माह पहले से ही मिट्टी के दीये और अन्य बर्तनों और मूर्तियों के निर्माण कार्य में जुटना पड़ता है। वे बड़ी ही समझदारी की बात करते हुए कहते हैं कि मिट्टी के दीये से वायु प्रदूषण भी कम होता है, स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा मिलता है और परिवार के हर व्यक्ति को काम मिल जाता है। मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ने का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि कुम्हार समाज को आजीविका के साथ- साथ उनकी सांस्कृतिक विरासत भी जीवित है।