लखनऊ। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को राष्ट्रीय आपदा मोचक बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचक बल (एसडीआरएफ) के बीच परस्पर समन्वय के साथ प्रदेश में आपदा प्रबंधन के कार्यों को और प्रभावी बनाने के लिए जारी प्रयासों की समीक्षा है। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य में आपदा राहत प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदाकाल में एनडीआरएफ एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के कार्मिकों ने सेवा और दक्षता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। लखनऊ में एनडीआरएफ मुख्यालय भवन क्रियाशील है। बरेली और झांसी में एनडीआरएफ के रीजनल रिस्पॉन्स सेंटर की स्थापना की जानी है। इसके लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध कराई जाए।
उन्होंने कहा कि सभी जनपदों में इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर स्थापित किए गए हैं। इन्हें सेफ सिटी के अंतर्गत आईसीसीसी से इंटीग्रेट किया जाना चाहिए। सभी ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों में क्रियाशील पब्लिक एड्रेस सिस्टम को स्थापित कराएं। इन्हें अर्ली वार्निंग सिस्टम से जोड़ा जाए।
योगी ने कहा कि बरसात के मौसम में आकाशीय बिजली/वज्रपात के कारण होने वाली ऐसी जनहानि को न्यूनतम करना एक बड़ी चुनौती है। 2022-23 में 52 जनपदों में 301 लोगों की असमय मृत्यु हुई, जबकि 2023-24 में अब तक 36 जिलों में 174 जनहानि की दुःखद सूचना मिली है। इसके हर हाल में रोकना होगा और तकनीक की मदद से ऐसा किया जा सकता है। इस दिशा में बिना विलंब प्रभावी प्रयास किया जाए।
उन्होंने कहा कि आगामी तीन माह के भीतर सभी 75 जिलों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाएं। आज तकनीक इतनी बेहतर हो चुकी है कि आकाशीय बिजली गिरने के तीन से चार घंटे पहले पता लगाया जा सकता है जबकि एक घंटे पूर्व सटीक स्थान की जानकारी मिल सकती है। यदि समय से लोगों को जानकारी मिल जाएगी तो जन-धन की हानि नहीं होगी।भारत सरकार द्वारा विकसित कराए गए दामिनी एप, मेघदूत जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी अधिकाधिक प्रचार-प्रसार किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदाकाल में आपदा मित्रों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश सर्वाधिक आपदा मित्रों वाला राज्य है। जिन जिलों में अभी तक इनकी तैनाती नहीं है, वहां तत्काल किया जाए। इनके प्रशिक्षण की कार्यवाही भी तेजी से पूरी की जाए।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रथम राज्य है जहां आपदा राहत वितरण के लिए एंड-टू-एंड कंप्यूटराइज्ड रिलीफ मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया गया है। इसमें लाभार्थी के चयन से लेकर, डिजिटल अप्रूवल तथा खाते में धनराशि हस्तांंतरित करने तक की पूरी प्रक्रिया पेपरलेस हो गई है, जिससे राहत वितरण में पारदर्शिता के साथ-साथ समयबद्धता भी सुनिश्चित हो गई है। इसे और उपयोगी बनाने का प्रयास हो।