मेरठ। मेरठ में अस्पतालों में कमीशन का मामला सामने आया है। इतना ही नहीं अस्पतालों के दलालों के चलते एक नवजात की जान चली गई। इसके बाद पीड़ित परिजन शव को लेकर ADG ऑफिस पहुंचे और कार्रवाई की मांग की।
मेरठ में मेडिकल इमरजेंसी के बाहर दलालों का सम्राज्य है। जिसके चलते एक नवजात की जान चली गई।
15 जुलाई को 13 दिन के नवजात को भर्ती कराने आए परिजनों को दलाल जबरन निजी अस्पताल ले गए। जहां उपचार के दौरान बुधवार को नवजात की मौत हो गई। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया।
इसके बाद नवजात का शव लेकर एडीजी कार्यालय पहुंचे। जहां से उनको एसएसपी कार्यालय जाने के लिए कहा गया। परिजनों ने डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। आरोप लगाया कि मेडिकल इमरजेंसी के बाहर मौजूद दलालों ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया और जबरन निजी अस्पताल ले गए। एसएसपी ने कार्रवाई के निर्देश दिए है। जिसके बाद पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
बुलंदशहर के कमालपुर निवासी जितेंद्र की पत्नी को 14 जुलाई को बच्चा हुआ था। परिजन 15 जुलाई को मेडिकल कॉलेज में उपचार के लिए लेकर पहुंचे। मेडिकल इमरजेंसी के बाहर डॉक्टर के कपड़ों में देवेंद्र, एंबुलेंस पर छोटू और विक्की राणा मिले। तीनों से मेडिकल में नवजात को भर्ती कराने के लिए कहा। उनसे कहा गया कि मेडिकल में अभी कोई बच्चों का अच्छा डॉक्टर नहीं है और नवजात को लेकर एक निजी अस्पताल पहुंच गए। यहां सुधार न होने पर 18 जुलाई को दूसरे निजी अस्पताल में नवजात को भर्ती कराया। जहां पर परिजनों को नवजात से मिलने भी नहीं दिया गया। एक लाख बीस हजार रुपये भी अस्पताल ने ले लिए। डॉक्टर कहने लगे कि नवजात को वेंटिलेटर पर रखा गया है, जबकि नवजात को मशीन पर रखा गया था।
सुबह सात बजे नवजात को मृत बताते हुए परिजनों को दे दिया। इसके बाद परिजन नवजात का शव लेकर एडीजी कार्यालय और उसके बाद एसएसपी कार्यालय पहुंचे। परिजनों ने दलालों समेत अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने मेडिकल पुलिस को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद मेडिकल थाना पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
एसएसपी कार्यालय पर परिजनों ने मेडिकल पुलिस पर लापरवाही करने का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि एक आरोपी छोटू को उन्होंने मेडिकल थाने के सिपाही को सौंप दिया था। उसे सिपाही ने थाने के बाहर से ही छोड़ दिया।
परिजनों ने आरोप लगाया कि मेडिकल कॉलेज इमरजेंसी के बाहर दलाल खड़े रहते हैं। जो एंबुलेंस से आने वाले मरीज को सही उपचार दिलाने का वायदा करके निजी अस्पताल ले जाते है। इमरजेंसी के अंदर मरीज और तीमारदारों को नहीं जाने दिया जाता।