नयी दिल्ली। केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने देेश की विभिन्न एयरलाइनों के कुछ चुनींदा सेक्टरों में किरायों में अनुपात से अधिक बढ़ोत्तरी के कांग्रेस के आरोप पर पलटवार करते हुए आज कहा कि विपक्षी पार्टी तथ्यों का चुुनींदा इस्तेमाल करके अपने स्वार्थी राजनीतिक एजेंडे के अनुरूप जनता की धारणा को प्रभावित करना चाहती है।
सिंधिया ने ट्वीटर पर कांग्रेस के महासचिव के सी वेणुगोपाल के दिल्ली बेंगलुरु सेक्टर पर किराया अनुपात से अधिक होने के आरोप पर पलटवार किया और किराया चार्ट साझा करके कहा कि दोनों शहरों के बीच हवाई किराया रेलवे में एसी प्रथम श्रेणी के किराये के बराबर हैं।
सिंधिया ने भी ट्वीटर पर जवाब में कहा, “श्री के सी वेणुगोपाल जी तथ्यों को मनमर्जी से प्रस्तुत कर रहे हैं, और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के शासन के दौरान नागरिक उड्डयन के साथ किये गए सौतेले व्यवहार को भूल गये हैं।” उन्होंने कहा कि यह सही है कि हवाई किराए में वृद्धि हुई है, पर यह ज्यादातर उन मार्गों पर हुई है जहां पहले गोफर्स्ट की उड़ान परिचालित होती थी। मंत्रालय ने न केवल इस मुद्दे पर तुरंत संज्ञान लिया, बल्कि एयरलाइनों को स्व-विनियमन के लिए सख्त सलाह भेजकर हस्तक्षेप भी किया। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) इस पर कड़ी नजर रख रहा है। किराए में 60 प्रतिशत तक की कमी आई है, और इसके और घटने की संभावना है।
नागर विमानन मंत्री ने कहा कि मंत्रालय के कदम उठाने के बाद प्रमुख सेक्टरों में किरायों काफी गिरावट आई है। उन्होंने इसके बारे में एक चार्ट भी साझा किया। उन्होंने कहा, “एक वकील के रूप में, आपसे अधिक मेहनती होने की अपेक्षा की थी। राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) के अधिस्थगन आदेश के अनुसार, गोफर्स्ट एयरलाइन को दिए गए हवाईअड्डे के स्लॉट फ्रीज कर दिए गए हैं और उन्हें फिर से आवंटित नहीं किया जा सकता है। हालांकि इन रूटों पर उड़ान भरने के लिए एयरलाइंस को 68 अतिरिक्त रूट आवंटित किए गए हैं।”
उन्होंने कहा कि एयरलाइंस की क्षमता पर 2014 के बाद से बेड़े के आकार में 75 फीसदी की वृद्धि हुई है (400 से 700 विमानों तक)। अधिकांश घरेलू एयरलाइनों के पास एक स्वस्थ ऑर्डर-बुक है, और वे अपना हिस्सा बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मार्गों पर परिचालन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हवाईअड्डा शुल्क और अन्य शुल्क एयरलाइन के कुल खर्च का लगभग 7 प्रतिशत ही बनते हैं, और इस प्रकार, इन शुल्कों का समग्र हवाई किराए पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, यह जानने की उम्मीद है कि हवाईअड्डे से संबंधित शुल्क एक स्वतंत्र नियामक निकाय (ऐरा) द्वारा तय किए जाते हैं, न कि सरकार द्वारा।
सिंधिया ने कहा कि उत्पाद शुल्क 2017-18 में 14 प्रतिशत से घटाकर वर्तमान 11 प्रतिशत कर दिया गया है। दिल्ली- बेंगलुरु मार्ग पर, जल्द से जल्द यात्रा के लिए, हवाई किराए सस्ते हैं और फर्स्ट एसी रेल किराए के बराबर हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि देश में नागरिक उड्डयन के लिए यह कोई सामान्य स्थिति नहीं है। कोविड-19 के कारण दो साल की सभी उड़ानें बंद होने के कारण हुए अभूतपूर्व नुकसान के बाद अब इस क्षेत्र को समूची आपूर्ति श्रृंखला की कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिनमें गोफर्स्ट बेड़े के उड़ान से बाहर होना शामिल है। उन्होंने कहा कि यह एयरलाइंस अपने बेड़े में तुरंत विमान शामिल करने में असमर्थ हैं। हालाँकि, हमने इस मुद्दे को बहुत पहले ही समझ लिया था, और सक्रिय रूप से वेट-लीज़ नीति को उदार बना दिया था।
सिंधिया ने कहा, “हालांकि यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस आराम से नहीं बैठेगी और अपने स्वार्थी राजनीतिक एजेंडे के अनुरूप जनता की धारणा को प्रभावित करना चाहती है। यही संप्रग का ट्रैक रिकॉर्ड है।
नागर विमानन मंत्री ने वेणुगोपाल को चुनौती देते हुए पूछा कि वह बताय कि संप्रग सरकार के लिए उत्तर पूर्वी क्षेत्र प्राथमिकता क्यों नहीं था? 2018 तक अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में एक भी हवाई अड्डा नहीं था। आज, एनईआर में 9 हवाई अड्डों से बढ़कर 17 हवाई अड्डे हैं, और ये उड़ान योजना के तहत जुड़े हुए हैं। उन्होंने दूसरा प्रश्न किया कि संप्रग शासन के दौरान 3 एयरलाइंस (किंगफिशर, एयर डेक्कन और पैरामाउंट एयरवेज) क्यों बंद हो गईं? आज अकासा और फ्लाई91 के अलावा, जो इस सर्दी में भी उड़ान भरने के लिए तैयार है, 4 क्षेत्रीय एयरलाइंस ने उड़ान योजना के तहत जन्म लिया है (स्टार एयर, इंडियावन एयर, फ्लाईबिग और एयर टैक्सी)।
तीसरे सवाल में सिंधिया ने पूछा कि एयर इंडिया को जमीन पर उतार दिया गया, संप्रग सरकार द्वारा पूरी तरह से आपदा, भ्रष्टाचार और खराब निर्णय लेने के कारण। दैनिक घाटा 20 करोड़ रु. सालाना- 7200 करोड़ रुपये। संप्रग सरकार की जरूरतों को पूरा करने के लिए करदाताओं का पैसा क्यों उड़ाया गया? इसी एयरलाइन ने आज वैश्विक नागरिक उड्डयन के इतिहास में 470 विमानों का सबसे बड़ा ऑर्डर दिया है। क्या विनिवेश और सालाना करदाताओं के करोड़ों रुपये की बचत के बिना यह कभी संभव हो सकता था?
सिंधिया ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नागर विमानन सेक्टर की सच्ची तस्वीर है। श्री वेणुगोपाल को अपने तथ्यों को ठीक करना चाहिए।