नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जानबूझकर पूरे कैबिनेट ड्राफ्ट नोट को बदल दिया, जिसमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, के.जी. बालकृष्णन साथ ही वरिष्ठ अधिवक्ता व पूर्व एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के महत्वपूर्ण कानूनी राय थे। यह जानकारी सूत्रों ने दी है। सूत्रों ने कहा कि पुराना मसौदा कैबिनेट नोट दक्षिण समूह को सहायता प्रदान करने सहित सिसोदिया के गुप्त उद्देश्यों का पीछा करने में बाधा उत्पन्न कर रहा था, इसलिए इसे नष्ट कर दिया गया।
सूत्रों ने कहा कि नई मसौदा नीति साउथ ग्रुप और सिसोदिया के एजेंडे के पक्ष में है। मामले की जांच के दौरान ईडी को पता चला कि आबकारी विभाग द्वारा उनके सामने पेश की गई फाइल में कोई पुरानी कानूनी राय नहीं है। सूत्रों ने कहा कि कानूनी राय वाले एक महत्वपूर्ण नोट को कथित तौर पर फाइल से हटा दिया गया था। जब ईडी ने मामले की आगे जांच की, तो उन्हें पता चला कि आबकारी अधिकारी गौरव मान ने जनवरी 2021 में सिसोदिया के कर्मचारियों को अहस्ताक्षरित पुरानी ड्राफ्ट कॉपी दी थी।
ईडी द्वारा पूछताछ किए जाने पर, मान ने खुलासा किया कि उन्हें ड्राफ्ट नोट वापस नहीं दिया गया था।
ईडी ने इसे सिसोदिया द्वारा रची गई साजिश बताया है और आरोप लगाया है कि आरोपियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कोशिश की कि कानूनी राय वाले पुराने कैबिनेट नोट को रिकॉर्ड पर नहीं लाया जा सके।
ईडी ने फाइल को वापस ट्रेस किया और पाया कि पुराने कैबिनेट नोट की फाइल आखिरकार सिसोदिया को डीएएनआईसी के अधिकारी प्रवेश झा ने दी थी, इसके बाद वह गायब हो गई।
फाइल कथित तौर पर 28 जनवरी, 2021 को सिसोदिया को दी गई थी। हालांकि, जब ईडी ने इस संबंध में सिसोदिया से पूछताछ की, तो उन्होंने कोई नोट मिलने से इनकार किया। ईडी का आरोप है कि फाइल को सिसोदिया ने नष्ट कर दिया।
सूत्र ने कहा, सिसोदिया ने अपने पीए देवेंद्र शर्मा के फोन नंबर का इस्तेमाल करते हुए व्हाट्सएप अकाउंट बनाकर एक कानूनी पहलू भी बनाया और उन्होंने पुराने नोट को नष्ट कर दिया।
ईडी का मामला सीबीआई की प्राथमिकी (प्रथम सूचना रिपोर्ट) पर आधारित है। अब तक ईडी ने मामले में चार चार्जशीट, एक मुख्य चार्जशीट और तीन सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की हैं।