नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को गोपनीय और अपुष्ट सूचनाओं को लीक करने से रोकने की तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की मांग पर फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस सुब्रमण्यम की बेंच ने कल (23 फरवरी) को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
आज सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश वकील ने कहा कि ईडी ने किसी भी सूचना को लीक नहीं किया है। खबरों के स्रोत के बारे में उसे जानकारी नहीं है। महुआ मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा कि ईडी फेमा उल्लंघन की जांच से संबंधित गोपनीय सूचना लीक कर रही है।
महुआ मोइत्रा ने 19 मीडिया हाउसेज को ईडी के मामले में अपुष्ट, झूठी और अपमानजनक सूचनाओं को प्रकाशित करने से रोकने की मांग की है। ईडी ने महुआ मोइत्रा को फेमा के उल्लंघन के मामले में 14 फरवरी और 20 फरवरी को पूछताछ के लिए समन जारी किया था।
याचिका में कहा गया है कि मीडिया हाउसेज में जो भी खबरें चलाई जा रही हैं वे ईडी के फेमा के उल्लंघन की जांच से जुड़ी हुई हैं। जॉन ने कहा कि ईडी याचिकाकर्ता को कोई भी कम्युनिकेशन भेजने से पहले उसे लीक कर देती है और वो खबरों के रूप में छपती है।
महुआ मोइत्रा ने मांग की है कि जांच लंबित रहने तक ईडी और मीडिया हाउसेज को फेमा के उल्लंघन की जांच से जुड़ी सामग्री लीक करने और उन्हें प्रकाशित करने से रोका जाए। याचिका में कहा गया है कि ईडी ने जानबूझकर गलत नीयत से सूचनाएं लीक की हैं। उन्होंने जो जवाब ईडी को दिए हैं उन्हें लीक किया जा रहा है और मीडिया में प्रकाशित किया जा रहा है। यह निष्पक्ष जांच के अधिकार का उल्लंघन है।
उल्लेखनीय है कि आठ दिसंबर, 2023 को लोकसभा ने महुआ मोइत्रा की सदस्यता खत्म कर दी थी। संसद की एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा को पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप को सही मानते हुए संसद की सदस्यता खत्म करने की अनुशंसा की थी। महुआ मोइत्रा पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाया था। मोइत्रा पर आरोप था कि उन्होंने कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेकर अडानी के बारे में सवाल पूछे और अपना लॉग-इन पासवर्ड भी हीरानंदानी से साझा किया।