नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र के लिए निलंबित किए गए भारतीय जनता पार्टी के सात विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा तक कोर्ट में मामला लंबित रहने के दौरान विशेषाधिकार समिति को आगे की कार्रवाई को नहीं जारी रखना चाहिए। इसके पहले की सुनवाई में दिल्ली विधानसभा की तरफ से वकील सुधीर नंद्राजोग ने कहा था कि निलंबित विधायकों के खिलाफ चल रही कार्यवाही बिना देरी के खत्म हो जाएगी। उनका निलंबन असहमति की आवाज को खत्म करना कतई नहीं है। यह निलंबन विपक्षी विधायकों के गलत आचरण के खिलाफ स्व-अनुशासन की एक प्रक्रिया है।
नंद्राजोग ने सातों विधायकों की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि विधानसभा अपनी गरिमा बनाये रखने को लेकर विवेक का इस्तेमाल करता है। विधायकों ने उपराज्यपाल को माफी मांगते हुए पत्र लिखा है तो उन्हें विधानसभा को भी ऐसा ही पत्र लिखना चाहिए। इस पर हाई कोर्ट ने विधायकों की ओर से पेश वकील जयंत मेहता से कहा था कि इस मामले को सुलझाएं और विधानसभा को सम्मानपूर्वक पत्र लिखें।
उल्लेखनीय है कि 15 फरवरी को दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल वीके सक्सेना के अभिभाषण के दौरान कथित तौर पर बाधा डालने के आरोप में भाजपा के विधायकों मोहन सिंह बिष्ट, अजय महावर, ओपी शर्मा, अभय वर्मा, अनिल वाजपेयी, जीतेंद्र महाजन और विजेंद्र गुप्ता को निलंबित कर दिया गया था।