Friday, November 22, 2024

छोटे शहरों में मूलभूत सुविधायें जुटाने की मांग

नयी दिल्ली। राज्यसभा में बृहस्पतिवार को छोटे शहरों में आवास के साथ-साथ बिजली, पानी, साफ सफाई तथा जलनिकासी जैसी मूलभूत सुविधायें जुटाने की मांग की गयी।

सदन में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के कार्यकरण पर चर्चा में फिर से शुरु करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की फौजिया खान ने कहा कि आवास मूल भूत आवश्यकता है। इसमें मूलभूत सुविधायें भी जोड़ी जानी चाहिए। शहरों में आवास की व्यापक समस्या है। शहरों में जलसंकट से निपटने के लिए वर्षा जल संचयन अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। आवास परियोजनायें बिना किसी अध्ययन के बनायी जा रही है जिससे समस्यायें पैदा हो रही है। महंगी मेट्रो रेल परियोजना कई शहरों में विफल हो रही है।

भारतीय जनता पार्टी के शंभुशरण पटेल ने कहा कि मोदी सरकार आवास की समस्या के प्रति सचेत है और सबको उचित आवास उपलब्ध कराने के प्रयास किये जा रहे हैं। छोटे शहरों और कस्बों में आवास बनायें जा रहे हैं। बजट में नालंदा विश्वविद्यालय के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। इससे आस पास के क्षेत्रों का विकास सुनिश्चित है।

चर्चा में हिस्सा लेते हुए वाईएसआरसीपी के वी विजयसाई रेड्डी ने कहा कि शहरी विकास के लिए ज्यादा आवंटन किया जाना चाहिए। स्लग इलाकों में बहुमंजिले भवन बनाने चाहिए। सरकार को शहरों में बुनियादी ढांचें में सुधार किया जाना चाहिए।

बहुजन समाज पार्टी के रामजी ने कहा कि आवासन बहुत बड़ा कार्य है, जिसको पूरी जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए। दिल्ली एक बरसात में ‘समु्द्र’ बन गयी। इसकी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री आवास योजना में पारदर्शिता की आवश्यकता है। जरूरतमंदों को आवास नहीं मिल रहा है।

भारतीय जनता पार्टी के सदानंद महालु शेट तानवडे ने कहा कि प्रधानमंत्री स्वनिधि से लोगों को लाभ हो रहा है और लोग अपना कारोबार बढ़ा रहे हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के ए ए रहीम ने कहा कि प्रतिष्ठित जीवन जीना प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। आवास इसमें मूल है। आईयूएमएल के हारिस बीरन ने कहा कि आवास क्षेत्र के लिए नियामक का मजबूत ढांचा बनाया जाना चाहिए। शहरों में बुनियादी ढांचा मजबूत करने के लिए आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए।

शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि नये संसद भवन में पानी आने से मंत्रालय का काम समझ में आता है। स्मार्ट सिटी के नाम पर केवल 15 प्रतिशत काम होता है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने की तैयारी करनी होगी। मुंबई जैसे शहरों में विकास के नाम पर जमीन हथियायी जा रही है। शहरों का गांवों से होने वाले पलायन को देखते हुए विकास की तैयारी करनी होगी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वी शिवदासन ने कहा कि आवासन परियोजनाओं के लिए बजट पर्याप्त नहीं है। शहरों में जल निकासी प्रबंधन बेहतर बनाया जाना चाहिए। राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने कहा कि स्मार्ट सिटी परियोजना को लगभग भुला दिया गया है। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में दरबार हाल का नाम गणतंत्र मंडप करने पर आपत्ति जतायी। उन्होंने कहा कि रेहड़ी पटरी के दुकानदारों के साथ नाइंसाफी हो रही है। स्वनिधि में आवंटन 20 प्रतिशत घटाया गया है। शहरीकरण करने के लिए गांव को समझना होगा। संपत्ति का असंतुलन शहरों में बहुत दिखायी देता है। मजदूरों को नगरकेंद्र से दूर बसाया जाता है। इससे शहर नहीं चल सकता ।

झारखंड मुक्ति मोर्चा की महुआ मांझी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजनाओं के अंतर्गत बने आवासों की हालत जर्जर हो गयी है। साफ सफाई नहीं है। लोगों को पेयजल नहीं मिल रहा है। रास्ते भी ठीक नहीं है। जल निकासी का प्रबंध होना चाहिए। रांची में मकान नीचे हो गये हैं और सड़के ऊंची हैं।

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