मुझे आज लेबनान पर हो रहे हमलों पर लिखना था, लेकिन लिख रहा हूँ लहसुन के बारे में। हमारे देश की अदालतें इतनी दरियादिल हैं कि वे एक और यदि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की नागरिकता के मामले की सुनवाई करतीं हैं तो दूसरी तरफ लहसुन पर आयी याचिका की सुनवाई भी करतीं हैं और वो भी चीनी लहसुन के मामले की।
लहसुन हालांकि प्याज जाति का कंद है, किन्तु प्याज की गाँठ होती है और लहसुन की कलियाँ। अदालत में विवाद उस लहसुन का है जो हमारा नहीं, बल्कि चीन का है और चीनी लहसुन पर भारत सरकार ने रोक लगा रखी है, फिर भी चीन का लहसुन भारतीय बाजारों में इफरात में बिक रहा है। मामला दिलचस्प है इसलिए मैंने दूसरे तमाम विषयों को तिलांजलि देकर लहसुन पर लिखना शुरू कर दिया।
प्रतिबंध के बावजूद चीन के खतरनाक लहसुन के धड़ल्ले से देश में आने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने खाद्य सुरक्षा आयुक्त और कलेक्टर को कार्रवाई करने का आदेश दिए हैं। फरियादी की ओर से पेश किए गए चीन के लहसुन को प्रदेश के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के पेश हुए अफसर से सील करवा दिया। अदालत ने 15 दिन में इसकी जांच रिपोर्ट मांगी है। इलाहबाद का हाईकोर्ट सचमुच संवेदनशील है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इलाहबाद हाईकोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 10.74 लाख है। देश में 25 हाईकोर्ट में से इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले में सबसे आगे है। ये राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) के आंकड़े हैं।
बहरहाल लहसुन पर लौटते है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा आयुक्त और लखनऊ के डीएम हेल्पलाइन नंबर जारी करें, जिससे लोग चीन के लहसुन की बिक्री की शिकायत उस पर दर्ज करवा सकें। कोर्ट ने इस नंबर पर मिलने वाली शिकायतों पर सख्त करवाई करने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने यह आदेश स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर दिया। मोतीलाल ने खतरनाक चीनी लहसुन की बिक्री की प्रकाशित खबरों को याचिका के साथ लगाकर इस पर सख्त प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया था। फरियादी का कहना है कि देश में 2014 से ही इस लहसुन की बिक्री प्रतिबंधित है, इसके बावजूद बाजारों में यह खुलेआम बिक रहा है।
लहसुन भले ही हमारे यहां औषधीय माना जाता है, लेकिन कुछ लोग हैं जो इसे हाथ भी नहीं लगाते, उनके लिए लहसुन अस्पृश्य है। हमारे वैद्य जी कहते हैं कि लहसुन में रासायनिक तौर पर गन्धक की आधिक्य होती है। इसे पीसने पर ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है जो प्रतिजैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, एन्ज़ाइम तथा विटामिन बी, सैपोनिन, फ्लैवोनॉइड आदि पदार्थ पाए जाते हैं। अक्सर लहसुन खाली पेट खाने की सलाह दी जाती है। लहसुन को लेकर कहावतें उतनी नहीं हैं जितनी प्याज को लेकर है। प्याज को काटा जाता है, लहसुन को छीला जाता है। लहसुन की पैकेजिंग प्रकृति ने मक्के के भुट्टे की तरह बहुत आकर्षक तरीके से की है। जाहिर है कि ये विशेष कंद है अन्यथा इसे धरती के भीतर आलू की तरह उगने के लिए न छोड़ दिया जाता?
कहते हैं कि लहसुन एक दक्षिण यूरोप में उगाई जाने वाली प्रसिद्ध फसल है। भारत में लहसुन की खेती मुख्य रूप से गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और तमिलनाडु में की जाती है। इसका 50 प्रतिशत से भी ज्यादा उत्पादन गुजरात और मध्यप्रदेश में किया जाता है। हमारे यहां एग्रीफाउंड वाइट (जी. 41 ), यमुना वाइट (जी.1 ), यमुना वाइट (जी.50), जी.51 , जी.282, एग्रीफाउंड पार्वती (जी.313 ) और एच.जी.1 प्रजाति का लहसुन मिलता है, लेकिन हमारे पड़ौसी देश चीन ने हमारे लहसुन के सामने अपना लहसुन खड़ा कर दिया।
आपको शायद पता हो या न हो लेकिन भारत में साल 2014 से ही चाइनीज लहसुन प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन यह भारतीय मंडियों और खुदरा बाजार में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। जिस लहसुन को देसी समझकर आप अपने घर ले जा रहे हैं और दाल-सब्जी में तड़का मारकर खा रहे हैं, वह सिंथेटिक रूप से खतरनाक कैमिकल्स से बना फंगस वाला चाइनीज लहसुन हो सकता है। चीनी लहसुन का अवैध व्यापार एक लम्बे अरसे से जारी है। चीन अक्सर नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते इसकी यहां डंपिंग करता है। इन दोनों ही देशों के साथ भारत लहसुन का ड्यूटी फ्री व्यापार करता है। भारत पहुंचने वाला चीनी लहसुन कई बैक्टीरिया और बीमारियों को साथ लेकर पहुंचता है। ये लोगों की सेहत पर असर डालता है। हाल में एक वायरल वीडियो में दावा किया गया है कि चीन में लहसुन ‘सीवर के पानी में पैदा होता है। इसे सफेद दिखाने के लिए आर्टिफिशियल तरीके से ‘ब्लीच किया जाता है।
हकीकत ये है कि भारत में करीब 32.7 लाख टन लहसुन का उत्पादन होता है। भारत में सबसे ज्यादा लहसुन का उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है। हालांकि चीन में उत्पादन गिरने के बावजूद वह दुनिया में नंबर एक है । चीन में हर साल करीब 2 से 2.5 करोड़ टन लहसुन का उत्पादन होता है, चीन के मुकाबले भारत का लहसुन थोड़ा छोटे आकार का होता है। वहीं इसका रेट चीन के मुकाबले काफी कम है। चीनी लहसुन की ग्लोबल मार्केट में 1250 डॉलर प्रति टन कीमत है, तो वहीं भारतीय लहसुन 450 से 1000 डॉलर प्रति टन तक मिलता है। इसलिए भारत गरीब से लेकर अमीर देशों तक के हिसाब से लहसुन की क्वालिटी उपलब्ध करा पाता है। चीनी लहसुन की मांग अधिकतर अमेरिका और यूरोपीय देशों में है, जबकि भारत, मलेशिया, थाईलैंड, नेपाल और वियतनाम को लहसुन का बड़े पैमाने पर निर्यात करता है । बावजूद सारी बुराइयों के भारतीय इसके चमकदार बगुलामुखी रंग की दीवानगी के फेर में पढ़कर चीनी लहसुन खरीद लाते हैं।
(राकेश अचल-विभूति फीचर्स)