मुजफ्फरनगर। प्रमुख समाजसेवी सत्यप्रकाश रेशु अग्रवाल ने रूडकी रोड स्थित एक रेस्टोरेंट में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान जानकारी देते हुए बताया कि लोकसभा चुनाव-2024 के अंतर्गत 19 अप्रैल, 2024 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण सीटों में शामिल मुजफ्फरनगर समेत देश की कुल 102 लोकसभा सीटों पर प्रथम चरण का मतदान हुआ, जिसमें वोट प्रतिशत काफी कम रहा। हालांकि मतदान शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो गया, किन्तु विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र के चुनाव में मतदान का प्रतिशत कम होना स्वस्थ लोकतंत्र के लिये बडा खतरा माना जा रहा है।
सोचने वाली बात यह है कि लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण में आखिरकार मतदान कम क्यों हुआ? आखिरकार ऐसी कौन सी बात है कि मतदाताओं का रूझान मतदान करने के प्रति उदासीन रहा, जबकि निर्वाचन आयोग की ओर से पिछले काफी समय से मतदाताओं को जागरूक करने के लिये स्वीप कार्यक्रमों सहित विशेष अभियान चलाया गया था, जिसके तहत स्कूलों और सार्वजनिक मंचों पर कार्यक्रमों, रैलियों एवं नुक्कड नाटकों का आयोजन कर छात्र-छात्राओं, उनके अभिभावकों, शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं आम नागरिकों को मतदान के प्रति जागरूक किया जा रहा था, लेकिन इसके बावजूद भी वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2024 में मतदान का प्रतिशत लगातार गिरना बेहद चिंता का विषय है।
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कोई भी चुनाव हो, उसके लिये मतदाताओं को मतदान करना होता है, मतदाता अपना समय बर्बाद कर धूप, गर्मी, सर्दी और बरसात के बावजूद मतदान करने के लिये अपना सारा काम छोडकर लाईन में लगता है, लेकिन मतदान करने के ऐवज में मतदाता को क्या मिलता है, कुछ नहीं… बस यही मतदान प्रतिशत कम होने का सबसे बडा कारण है। चुनाव के बाद नेताओं को राजगद्दी मिल जाती है, उनके समर्थकों को भी कुछ न कुछ पद मिल ही जाता है, कोई प्रमुख बन जाता है, कोई किसी विभाग का चेयरमेन बन जाता है, किसी को पार्टी में अच्छा पद दे दिया जाता है, किसी की अन्य प्रकार से सिफारिश कर उसका काम निकलवा दिया जाता है, लेकिन आम मतदाता अपना समय बर्बाद करने और परेशानियां झेलने के बावजूद भी खुद को ठगा सा महसूस करता है, आखिर कब तक ऐसा चल पायेगा। आने वाले समय में यह परेशानियां और बढ जायेगी और मतदान का प्रतिशत लगातार कम होता जायेगा।
उन्होंने कहा कि आने वाला समय बहुत ही भागमभाग और व्यस्तता वाला होगा, ऐसे में कामकाजी व्यक्ति, चाहे वह बिजनेस मैन हो, उद्योगपति हो, दुकानदार हो, किसान हो, नौकरीपेशा या अन्य कोई रोजगार करता हो, किसी के पास भी जहां अपनों के लिये ही समय नहीं होगा, वह नेताओं का भविष्य तय करने के लिये क्यों अपना समय बर्बाद करेगा, क्यों परेशानियों को मोल लेगा, क्यों मतदान की लाईन में लगेगा….. हरगिज नहीं। डिजिटल इंडिया-डिजिटल भारत के माध्यम से डिजिटल वोटिंग के जरिये देश में 90 से 95 प्रतिशत तक मतदान सम्भव है।
उन्होंने कहा कि मैंने इस सम्बन्ध में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चुनाव आयोग को फुल पू्रफ अपनी रिसर्च रिपोर्ट भेजकर इस सम्बन्ध में अवगत कराया है, जिसमें कहा गया है कि आज देश के लगभग 30 से 40 प्रतिशत शिक्षित वोटर ऐसे हैं, जो विदेश में हैं, पोलिंग स्टेशनों से काफी दूर हैं, संत समाज के लोग हैं, ब्यूरोकेट्स हैं, हजारों लोगों की चुनाव से सम्बन्धित कार्यों में ड्यूटी लगी है, कुछ पहाडों पर रहते हैं, कोई बीमार है और अस्पताल में भर्ती है, कोई अपने मरीजों की तिमारदारी कर रहा है, कुछ नागरिक उद्योग चला रहे हैं, कुछ अपने खेतों में कार्य कर रहे हैं और कुछ अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में व्यस्त हैं और वे समय बचाने के लिये अपने अधिकांश कार्य भी डिजिटल माध्यम से ही कर रहे हैं। ऐसे नागरिक बैंकों की लाईन में लगने के बजाय अपने मोबाइल से ही बैंकों की ट्रांजेक्शन कर रहे हैं, व्हाट्सअप चला रहे हैं, एसएमएस भेज रहे हैं, मोबाइल के माध्यम से ही लेटर और वीडियो आदि आसानी से इधर से उधर ट्रांसफर कर रहे हैं। ऐसे लोगों के पास समय का भी काफी अभाव रहता है। ऐसे में यदि कोई इनसे कहे कि आप लम्बी दूरी तय करने के बाद, सर्दी, गर्मी या बरसात झेलकर, मतदान की लाईन में लगकर किसी नेता के लिये अपना कीमती वोट डाल दें, तो यह सम्भव नहीं होगा। ऐसे मतदाता वोट देने के लिये अपने कार्यों को कदापि नहीं छोड सकते, आखिरकार मतदान करने से उन्हें मिलने वाला भी क्या क्या है? जो कुछ मिलेगा या तो नेताओं को मिलेगा, या फिर उनके समर्थकों को, फिर वह समय बर्बाद क्यों करे?
उन्होंने कहा कि मेरा देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी एवं भारतीय चुनाव आयोग से अनुरोध है कि मतदान का प्रतिशत बढाने के लिये डिजिटल इंडिया-डिजिटल भारत के माध्यम से डिजिटल वोटिंग का विकल्प मतदाताओं को दिया जाये, ताकि दूरगामी स्थानों पर मौजूद मतदाता पोलिंग बूथ पर जाये बिना ही डिजिटल माध्यम से अपने मताधिकार का प्रयोग कर बिना समय गंवाये देश के विकास और स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्पराओं को सुरक्षित बनाये रखने में अपनी सहभागिता प्रदान कर सके। अब जमाना है देश को बदलने का, युवाओं को मौका देने का और डिजिटल वोटिंग को अपनाने का, तभी हमारे देश का वोट प्रतिशत 90 से 95 प्रतिशत तक करने का, यह तभी सम्भव है, जब वोट के बदले मतदाताओं को भी कुछ दिया जाये।
मतदाताओं को वोट के बदले अस्पतालों, सरकारी योजनाओं, बैंकिंग, रेलवे, एयर यात्रा, कृषि यंत्रों की खरीददारी, नौकरियों एवं बिजनेस आदि में राहत दी जाये, ताकि इन सभी कार्यों से जुडे लोग वोट के बदले सरकारी सहूलियतों का फायदा उठा पायें और अच्छी सरकार बनाने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान कर सकें। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया, डिजिटल भारत के साथ डिजिटल वोटिंग के लिये न तो लडाई-झगडे होंगे और चुनाव में खर्च होने वाला सरकारी धन की भी 90 प्रतिशत तक बचत होगी। प्रेस वार्ता में सभासद अमित पटपटिया, डा. प्रवीण, शालू सैनी, शालिनी शर्मा आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।