नई दिल्ली। लगातार जारी उठा पटक के बीच घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) इस साल भारतीय शेयर बाजार में अभी तक करीब साढ़े चार लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर चुके हैं। इस निवेश का एक बड़ा हिस्सा विदेशी निवेशकों की बिकवाली के समय स्टॉक मार्केट को सपोर्ट करने के लिए किया गया है। किसी एक कैलेंडर ईयर में घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा किया गया ये अभी तक सबसे ज्यादा निवेश है। ये स्थिति भी तब है, जबकि साल 2024 खत्म होने में अभी भी करीब डेढ़ महीने का समय बचा हुआ है।
शेयर बाजार में जिस तरह विदेशी निवेशकों ने बिकवाली का दबाव बनाया हुआ है, उसके आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर ये स्थिति आगे भी जारी रही तो घरेलू संस्थागत निवेशकों के निवेश का आंकड़ा और भी ज्यादा हो सकता है। घरेलू शेयर बाजार में इस साल 30 सितंबर के बाद से ही लगातार बिकवाली का दबाव बना हुआ है। मिडिल ईस्ट में जारी तनाव और चीन के राहत पैकेज का ऐलान किए जाने के कारण विदेशी निवेशक दुनिया के ज्यादातर स्टॉक मार्केट की तरह ही भारतीय शेयर बाजार में भी लगातार बिकवाली का दबाव बनाए रहे हैं। विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण और स्टॉक मार्केट में लिस्टेड कई बड़ी कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे की वजह से मार्केट सेंटीमेंट भी कमजोर हुआ है। इसके बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगातार लिवाली करके शेयर बाजार को क्रैश होने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अक्टूबर के महीने में विदेशी निवेशकों ने 94,017 करोड़ रुपये की नेट सेलिंग की थी। किसी एक महीने में विदेशी निवेशकों द्वारा की गई बिकवाली का ये अभी तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसके पहले मार्च 2020 में विदेशी निवेशकों ने एक महीने में 61,973 करोड़ रुपये की नेट सेलिंग की थी। इतनी जोरदार बिकवाली के बीच घरेलू संस्थागत निवेशकों ने आक्रामक अंदाज में खरीदारी करके बाजार को सपोर्ट करने का काम किया। अक्टूबर के महीने में डीआईआई ने 98,400 करोड़ रुपये की शुद्ध लिवाली की।
इन आंकड़ों से साफ है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली की तुलना में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने ज्यादा खरीदारी की। हालांकि जियो पॉलिटिकल टेंशन और कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे की वजह से डीआईआई लगातार खरीदारी करने के बावजूद शेयर बाजार को गिरावट से नहीं बचा सके। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगातार खरीदारी कर विदेशी निवेशकों की बिकवाली का जवाब नहीं दिया होता तो शेयर बाजार पूरी तरह से ध्वस्त होने की स्थिति में आ सकता था।
जगदंबा सिक्योरिटीज एंड कमोडिटीज सर्विसेज के सीईओ नमन अग्रवाल के अनुसार पिछले कुछ सालों के दौरान शेयर बाजार में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने मजबूत पकड़ बनाई है। दस साल पहले तक विदेशी निवेशक जब भी बिकवाली का दबाव बनाते थे, तो शेयर बाजार बड़ी गिरावट का शिकार हो जाता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। सरकार की आर्थिक नीतियों में घरेलू संस्थागत निवेशकों को निवेश के लिए पहले से अधिक छूट मिली है। इसके साथ ही जोखिम प्रबंधन के लिए भी उन्हें बढ़ावा दिया गया है, जिसकी वजह से विदेशी निवेशकों की बिकवाली के जवाब में वे मजबूती के साथ खरीदारी कर रहे हैं। इसकी वजह से उनका खुद का प्रॉफिट मार्जिन भी बढ़ा है, साथ ही छोटे और खुदरा निवेशकों के लिए मार्केट रिस्क में भी कमी आई है।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार इस साल घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का जो निवेश किया है, उसमें से पहले एक लाख करोड़ रुपये का निवेश 57 ट्रेडिंग सेशन में किया गया था। इसी तरह दूसरे एक लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 40 ट्रेडिंग सेशन का समय लिया, जबकि तीसरे एक लाख करोड़ रुपये का निवेश करने में उन्हें 60 ट्रेडिंग सेशन का समय लगा। चौथी बार 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने सिर्फ 31 ट्रेडिंग सेशन का समय लिया। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली इसी तरह जारी रही, तो इसी महीने घरेलू संस्थागत निवेशकों का निवेश 5 लाख करोड़ रुपये के स्तर को भी पार कर सकता है।