नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ कथित दुष्कर्म और उसकी हत्या मामले की मंगलवार को ‘स्वत: संज्ञान’ सुनवाई करते हुए चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल तैयार के लिए 10 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्य बल का गठन किया।
शीर्ष अदालत ने कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज की 31 वर्षीया स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में आज केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अलावा पश्चिम बंगाल सरकार को अलग-अलग जांच प्रगति विवरण 22 अगस्त तक पेश करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा कि यह कार्य बल चिकित्सा से संबंधित पेशेवरों की सुरक्षा, भलाई और अन्य संबंधित मामलों पर गौर करेगी।
पीठ ने मामले की जांच कर रही सीबीआई को जांच की प्रगति का विवरण 22 अगस्त तक अदालत में पेश करने का निर्देश दिया। इसके अलावा राज्य सरकार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में उस महिला डॉक्टर की कथित हत्या के बाद वहां 14-15 अगस्त को हुई तोड़फोड़ घटनाओं की जांच प्रगति का विवरण 22 अगस्त तक प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को कथित सुस्त और लापरवाह रवैये के लिए फटकार लगाई। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार को सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहिए। अदालत ने कहा कि आरजी कर अस्पताल में उपद्रव करने वाले आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
शीर्ष अदालत ने 18 अगस्त 2024 को ‘स्वत: संज्ञान’ मामला दर्ज किया था। नौ अगस्त 2024 को अस्पताल की ड्यूटी के दौरान उस महिला डॉक्टर के साथ कथित तौर पर शर्मसार करने वाली घटना हुई थी। इस मामले को लेकर चल रहे देशव्यापी डॉक्टरों के आंदोलन के दौरान 14-15 अगस्त की दरमियानी रात को उसी सरकारी मेडिकल कॉलेज-अस्पताल पर अज्ञात लोगों की भीड़ ने हमला किया, जिसमें उसके इमरजेंसी वार्ड को काफी नुकसान पहुंचाया गया था।
महिला प्रशिक्षु डॉक्टर की कथित हत्या के इस मामले के विरोध में कोलकाता, दिल्ली समेत देशभर के डॉक्टर लगातार जगह-जगह धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।
इसी बीच, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 13 अगस्त को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था। पीड़िता के माता-पिता समेत कुछ अन्य लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कार्रवाई करते हुए अदालत ने यह आदेश पारित किया था।
सीबीआई ने दिल दहलाने वाली घटना में उस मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष से भी पूछताछ की है। कोलकाता पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया था।