नई दिल्ली। भारत ने शुक्रवार को कहा कि वह पड़ोसी देश बांग्लादेश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंतित है, जो गंभीर अपराधों के लिए सजा पाए हिंसक चरमपंथियों की रिहाई से और भी खराब हो गई है। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चरमपंथी तत्वों को बरी और दोषमुक्त करने के लिए कड़ी आलोचना का सामना कर रही है। विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को नई दिल्ली में साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, “हम एक स्थिर, शांतिपूर्ण, और प्रगतिशील बांग्लादेश का समर्थन करते हैं जिसमें सभी मुद्दों का समाधान लोकतांत्रिक तरीकों से और भागीदारीपूर्ण चुनावों के माध्यम से किया जाता है।
“जायसवाल ने कहा, “हम बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में चिंतित हैं, जो गंभीर अपराधों के लिए सजा पाए हिंसक चरमपंथियों की रिहाई से और भी खराब हो गई है।” 5 अगस्त 2024 को तत्कालीन पीएम शेख हसीना को अपनी सत्ता छोड़ भारत भागना पड़ा था। इसके बाद से बांग्लादेश में कानून व्यवस्था लगातार खराब होती जा रही है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदू और अहमदिया समुदायों के सदस्यों पर हमलों का सिलसिला अभी भी जारी है, ऐसे में विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बार फिर इस गंभीर मुद्दे को उठाया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “हमने बार-बार इस बात को रेखांकित किया है कि हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ-साथ उनकी संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों की सुरक्षा करना बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है।” जायसवाल ने कहा, “जैसा कि अब तक देखा गया है, 5 अगस्त 2024 और 16 फरवरी 2025 के बीच रिपोर्ट की गई 2374 घटनाओं में से केवल 1254 की ही पुलिस द्वारा पुष्टि की गई है। इसके अलावा, इन 1254 घटनाओं में से 98 प्रतिशत राजनीतिक प्रकृति की मानी गईं। हम उम्मीद करते हैं कि बांग्लादेश पूरी तरह से जांच करेगा, हत्या, आगजनी और हिंसा के सभी अपराधियों को बिना किसी भेदभाव के न्याय के कटघरे में लाएगा।”