नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कहा कि सेवा विकास सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष अमर साधुराम मूलचंदानी को धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है।
उन्हें एक विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष पेश किया गया जिसने उन्हें 7 जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया।
अधिकारी ने कहा कि यह गिरफ्तारी सेवा विकास सहकारी बैंक धोखाधड़ी मामले में चल रही जांच के सिलसिले में की गई है, जिसमें बैंक को 124 एनपीए ऋण खातों में 429 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
इससे बैंक दिवालिया हो गया और हजारों छोटे जमाकर्ताओं को नुकसान हुआ। ईडी ने मूलचंदानी और अन्य निदेशकों, अधिकारियों और ऋण चूककर्ताओं के खिलाफ पुणे में दर्ज कई एफआईआर के आधार पर पीएमएलए जांच शुरू की।
“जांच से पता चला है कि मूलचंदानी बैंक को एक पारिवारिक कारोबार की तरह चला रहा था। उन्होंने बैंक में सार्वजनिक जमा को अपनी निजी जागीर माना और अपने पसंदीदा उधारकर्ताओं को मनमाने तरीके से, साख योग्यता और पर्याप्त संपार्श्विक प्रतिभूतियों की जांच किए बिना़ अवैध रूप से ऋण स्वीकृत करने के लिए सभी विवेकपूर्ण बैंकिंग मानदंडों का उल्लंघन किया।
अधिकारी ने कहा, “उसने स्वीकृत ऋण राशि के 20 प्रतिशत कमीशन की दर से रिश्वत भी ली।”
ईडी ने कहा कि मूलचंदानी ने अपने परिवार के सदस्यों को बैंक में निदेशक के रूप में रखा था ताकि निदेशक मंडल में उनकी इच्छा और पसंद के अनुसार ऋण स्वीकृत करने के लिए उनके पास भारी बहुमत हो।
इसके चलते 92 प्रतिशत से अधिक ऋण खाते एनपीए में बदल गए, जो अंततः बैंक के पतन का कारण बना।
आरबीआई ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। इससे पहले इस मामले में अमर साधुराम मूलचंदानी की विभिन्न बेनामी संपत्तियों सहित 122.35 करोड़ रुपये की संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क की गई थी।
मामले में आगे की जांच जारी है।