नोएडा। नोएडा में अपनी मांगों को लेकर कई दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों के सब्र का बांध टूट गया और सांसद का घेराव करने उनके घर पहुंच गए। इस दौरान काफी देर तक दिल्ली से नोएडा आने वाला ट्रैफिक बाधित रहा। भारी संख्या में मौजूद पुलिस बल भी उन्हें रोक नहीं सका।
सांसद महेश शर्मा ने किसानों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि जल्द ही उनकी मांगों को सरकार से मनवा लिया जाएगा। इसके बाद किसान वापस अपने धरना स्थल नोएडा अथॉरिटी के सेक्टर 6 दफ्तर पहुंच गए। किसान करीब 2 बजे नोएडा प्राधिकरण से चले। किसानों ने दिल्ली से नोएडा जाने वाले रास्ते को भी रोक दिया है। इसके बाद वो सेक्टर-14ए गेट के सामने धरने पर बैठ गए।
इस दौरान सांसद ने उन्हें समझाने का प्रयास किया, लेकिन वो अपनी मांग पर अड़े रहे। काफी समझाने के बाद वो माने। भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखवीर खलीफा ने कहा, “जिन मांगों को नोएडा प्राधिकरण बोर्ड से सहमति मिल चुकी है। उस पर सांसद भी आश्वासन दे चुके हैं। इसके बाद भी इन मांगों पर काम क्यों नहीं किया जा रहा।”
किसान दोपहर करीब 2 बजे प्राधिकरण से पैदल मार्च निकालते हुए सांसद का घेराव करने के लिए सड़क पर आ गए। वहीं, किसानों का एक दल नोएडा प्राधिकरण के बाहर तालाबंदी की निगरानी करता रहा।
सांसद डॉक्टर महेश शर्मा ने किसानों से कहा कि आपकी दो मांग 10 प्रतिशत विकसित भूमि या उसके समतुल्य मुआवजा और 5 प्रतिशत आबादी के भूखंड, दोनों ही मांगों पर लगभग काम पूरा कर लिया गया है। प्राधिकरण के अधिकारियों से रविवार देर रात तक वार्ता भी की गई। ये करीब 7 से 8 हजार करोड़ का अमाउंट है। इसे शासन से पास कराया जा रहा है। हमने तो यहां तक कहा कि दो से तीन किस्तों में राशि भेज दी जाए। ये काम आपका समझो हो गया। तीसरी मांग आबादी विनयमितिकरण की 450 वर्गमीटर सीमा से बढ़ाकर 1,000 वर्गमीटर करने की है, इस पर बातचीत की जा रही है। इस पर भी जैसे कोई निष्कर्ष निकलेगा बताया जाएगा।
उन्होंने किसानों से कहा कि कोई भाई दिल से मुर्दाबाद के नारे नहीं लगा रहा, ये आपके अंदर का आक्रोश है। आगे आप ही हमें गले भी लगाओगे।
सुखवीर खलीफा ने कहा कि ये लड़ाई करो या मरो की है। जब तक हम अपना हक नहीं लेंगे, यहां से जाने वाले नहीं हैं। किसानों का आरोप है कि डेढ़ साल पहले भी 122 दिन के प्रदर्शन में मांगों को लेकर सांसद और विधायक के सामने नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने समझौता कराया था। लेकिन, एक भी मांग पूरा नहीं किया गया। किसानों की मांग है कि 10 प्रतिशत विकसित भूखंड दिया जाए। आबादी जैसी है, वैसी छोड़ी जाए।
विनियमितीकरण की 450 वर्गमीटर सीमा को बढ़ाकर 1000 प्रति वर्गमीटर किया जाए। भूमि उपलब्धता न होने के कारण पात्र किसानों के 5 प्रतिशत आबादी भूखंड भू लेख विभाग में नहीं रोके जाएंगे। उनका नियोजन किया जाए। भवनों की ऊंचाई को बढ़ाए जाने की अनुमति दी जाए। 5 प्रतिशत विकसित भूखंड पर व्यवसायिक गतिविधियां चलाने की अनुमति दी जाए। गांवों के विकास के साथ ही खेल बजट का प्राविधान किया जाए। गांवों में पुस्तकालय बनाएं जाए।