Saturday, December 28, 2024

हरियाणा : मुंडाका गांव के किसान कर रहे मशरूम की खेती, बन रहे आत्मनिर्भर

नूंह। किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जाती हैं। वहीं, राजस्थान हरियाणा बॉर्डर पर स्थित नूंह जिले के मुंडाका गांव को मशरूम गांव घोषित किया गया है। गांव के कई किसानों को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया गया है, जिसमें कइयों ने खेती शुरू भी कर दी है। मुंडाका गांव में 43 किसानों को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें से 25 किसानों ने खेती करनी शुरू भी कर दी है। दूसरे किसानों को भी प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी कृषि और बागवानी विभाग को सौंपी गई है।

मुंडाका गांव को मशरूम गांव घोषित करने के पीछे सरकार का उद्देश्य किसानों को आर्थिक रूप से खुशहाल और आत्मनिर्भर बनाना है। नूंह के जिला बागवानी अधिकारी डॉ. दीन मोहम्मद ने बताया कि सरकार मुंडाका गांव में प्रशासन की 150 किसान परिवारों को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण देकर भविष्य में मशरूम का अन्य देशों में निर्यात कराने की योजना पर काम कर रही है। यहां पर सैनी समाज के लोगों की अधिक आबादी है। इन लोगों के लिए खेती, सब्जी उगाने और बागवानी पारंपरिक कार्य माने जाते हैं। इसी कड़ी में गांव के 43 किसानों को करनाल के महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण दिलाकर मशरूम जगाने के लिए प्रोत्साहित किया था। प्रशिक्षण लेने के बाद बीते साल 2023 में मुंडाका गांव के मात्र चार किसानों ने मशरूम उगाई थी। अच्छे मुनाफे के बाद बाकी के किसान भी इसके लिए आगे आए।

उन्होंने बताया कि मुंडाका के किसानों द्वारा उगाई जाने वाली मशरूम को स्पेशल ब्रांड घोषित किया जाएगा। अच्छी पैकिंग कराकर पहले राष्ट्रीय स्तर पर बेचा जाएगा। गांव में ही ऐसी उत्पाद यूनिट और गुणवत्ता युक्त बीज के उत्पादन के लिए प्रशिक्षण हेतु लैब और कंपोस्ट यूनिट स्थापित की जाएगी। किसानों द्वारा उगाई जाने वाली मशरूम को सुरक्षित रखने के लिए गांव में ही एयर कंडीशनर यूनिट बनाई जाएगी। एक किसान ने बताया, “मशरूम की खेती के लिए हमने 20 झोपड़ियां बनाई हैं। हमने इसका प्रशिक्षण प्राप्त किया है। दो-ढाई महीने में मशरूम खाने लायक तैयार हो जाता है।” एक अन्य किसान ने बताया कि कृषि विभाग के अधिकारियों ने उन्हें मशरूम की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद मुरथल से इसकी खेती का प्रशिक्षण लिया। हमें पता चला कि बहुत कम जगह में इसका उत्पादन हो जाता है और बहुत ज्यादा मुनाफा है।

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