भागलपुर। केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी द्वारा सीडैक और बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के बीच मंगलवार को एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। इसके तहत बिहार में किसानों के कल्याण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग किया जाएगा। इस पहल के जरिए कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन की संभावना है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डी.आर. सिंह ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि एआई तकनीक से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इस तकनीक का उपयोग रोबोटिक हार्वेस्टिंग, वॉटर ड्रोन के माध्यम से मखाना की तोड़ाई, और मौसम तथा जलवायु के अनुकूल खेती की जानकारी देने के लिए किया जाएगा। इससे किसानों को अत्यधिक लाभ मिलेगा और उनकी उपज में सुधार होगा।
डॉ. डी.आर. सिंह ने बताया, “एआई का इस्तेमाल रोबोट से हार्वेस्टिंग, वॉटर ड्रोन से मखाना की तोड़ाई, मौसम और जलवायु के अनुकूल खेती की जानकारी प्रदान करने के लिए किया जाएगा, जो किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी होगा।” उन्होंने कहा कि इस समय, बिहार कृषि विश्वविद्यालय के परिसर में पीएम नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ का रिकॉर्डेड प्रसारण बड़े रेडियो पर हो रहा है, जिसमें पीएम मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के महत्व को समझाया है और इसका खेती में इस्तेमाल किसानों के लिए फायदेमंद होगा, इस पर जोर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से बिहार के कृषि परिदृश्य में नई संभावनाएं खुलेंगी और आधुनिक तकनीक के समावेश से किसानों की आय में वृद्धि होगी। कृषि उत्पादन की दक्षता बढ़ाने के लिए स्मार्ट एग्रीकल्चर, डेटा एनालिटिक्स, और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों का भी इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्र सरकार के इस कदम से बिहार के किसानों को नई तकनीक के साथ जोड़ने और उनकी कृषि संबंधी चुनौतियों को कम करने में मदद मिलेगी। यह पहल राज्य की कृषि को डिजिटल युग में आगे बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।