Sunday, December 22, 2024

थकान और महिलाएं

प्राय: गृहणियों की यह शिकायत रहती है कि वे जल्दी थक जाती हैं और थकान के कारण अधिक कार्य नहीं कर पाती हैं। थकान का एक प्रमुख कारण है, रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कम होना। काम करते समय खून में स्थित ग्लूकोज शक्ति के रूप में व्यय होता है। इसकी मात्रा कम होने पर निर्बलता शरीर पर हावी हो जाती है। जितना ग्लूकोज कार्य करते समय व्यय होता है, उसकी पूर्ति आवश्यक है। इसके लिए आवश्यक है उचित मात्रा में संतुलित पौष्टिक भोजन लें। इसके प्रति अधिकांश गृहणियां उदासीन होती हैं, जो कि उचित नहीं है।

इकट्ठे अधिक भोजन करना भी ठीक नहीं है। इससे एक तो सुस्ती व तन्द्रा आती है, दूसरे ग्लूकोज की मात्रा एकदम अधिक हो जाती है और कुछ ही देर में निम्न स्तर पर आ जाती है। अत: नियमित मात्रा में, दिन में कई बार खाना अधिक बेहतर है।

शक्ति का सदुपयोग करना भी थकावट को दूर करता है। अक्सर गृहणियों को घर के एक कोने से दूसरे कोने तक अंदर-बाहर दौड़ धूप करते हुए देखा जाता है। यह गृह कार्य बहुधा अव्यवस्था से भी होता है। इस व्यर्थ की भाग दौड़ में शक्ति का कितना अपव्यय होता है, इसका कोई अनुमान नहीं है। यह भी थकावट का एक प्रमुख कारण है।

अच्छा तो यह है कि प्रत्येक गृहिणी काम में आने वाली सभी वस्तुएं, निश्चित स्थान पर हाथ की पहुंच के भीतर रखे। गैस आदि जिस ऊंचाई पर रखे हों, उसी ऊंचाई पर अन्य बर्तन भी रखने चाहिए ताकि अनावश्यक झुकना न पड़े। सामान उठाते वक्त दो तीन उंगलियों की बजाय पूरी हथेली का उपयोग करना चाहिए। अंगों को उनकी क्षमता के अनुसार कार्य देना चाहिए। जैसे उंगलियों में तर्जनी व अंगूठा अन्य उंगलियों के अनुपात में अधिक बलवान है।

लिखते, सीते, इस्त्री करते समय पीठ व गर्दन अनावश्यक न झुकाइए। सिर और पीठ यथासंभव सीधे ही रहना चाहिए। किसी एक हाथ से काम करने की बहुधा दाहिने हाथ से लोगों की काम करने की आदत होती है। यह गलत प्रक्रिया है। थोड़ा कार्यभार दूसरे हाथ को भी देते रहना चाहिए। दो तीन दिन अपने काम करने की पद्धति पर गौर कर के देखिए कि किस प्रयास से थकावट दूर होती है।

उचित भोजन के साथ ही शरीर को उचित मात्रा में नींद और आराम मिलना चाहिए। लगातार काम करने की जगह बीच-बीच में चार-पांच मिनट आराम करना चाहिए।
शरीर में कार्य के दौरान उत्पन्न व्यर्थ पदार्थों को बाहर करने के लिए रक्त का उत्तम संचालन व रक्त में ऑक्सीजन की उचित मात्रा आवश्यक है। अत: काम करने की जगह में हवा व रोशनी का उचित प्रबंध होना चाहिए। सबेरे खुली हवा में चार-पांच मिनट के लिए गहरी व लंबी सांसें लेना उत्तम है। इससे ताजगी बनी रहती है। बदन को कसने वाले कपड़ों की जगह ढीले व हल्के कपड़े पहनना उचित है।

शरीर को चुस्त रखने के लिए मन को प्रसन्न रखना भी उतना ही आवश्यक है, क्योंकि मानसिक तनाव भी थकावट को जन्म देता है। छोटी-छोटी बातों को तूल देकर बिना वजह फिक्र करने में कोई सार नहीं है। चिकित्सकों के अनुसार मनुष्य जैसे प्रतिदिन खाता व सोता है वैसे ही उसे दिन में दो तीन बार खुलकर हंसना चाहिए। हंसने से समस्त स्नायु तंत्र व मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं और थकावट दूर हो जाती है।

इन सभी उपायों पर चलने के बावजूद यदि थकावट अधिक लगती है तो बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर से परामर्श लें। कई बार इन सब सामान्य कारणों के अतिरिक्त किसी रोग के कारण शिथिलता आ जाती है।
रचना शर्मा – विनायक फीचर्स

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