देहरादून। वित्त मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि उत्तराखंड के बजट में प्रधानमंत्री के 04 विजन को प्रमुखता दी जाएगी। विधानसभा का बजट सत्र आगामी 26 फरवरी से शुरू हो रहा है। इस बार बजट सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में न आयोजित होकर देहरादून में आयोजित हो रहा है। इसे लेकर विपक्ष सरकार पर सवाल उठा रही है।
वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने सत्र को लेकर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बजट उत्तराखंड के विकास का बने यह प्रयास रहता है। इसी के तहत सभी स्टेक होल्डर्स सहित अन्य वर्ग से बजट को लेकर संवाद किया जाता है। समग्र विकास का यह बजट होगा। निश्चित रूप से पिछले बजट से बड़े आकार का बजट प्रस्तुत होगा, जो राज्य के विकास के विकास के लिए निर्णायक साबित होगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के 4 विजन को लेकर बजट को प्रमुखता दी जाएगी, जिसमें महिलाओं, युवाओं, गरीबों और अन्नदाताओं को फोकस करेंगे। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास सबका प्रयास के तहत जो भी अच्छे प्रावधान होंगे हम करेंगे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का जो स्वभाव है जो प्रवृत्ति है वह भ्रामक प्रचार का है। विकास से कोई लेना देना नहीं है। आज कांग्रेस मुद्दाविहीन हो गई है। जनता के समस्याओं से विपक्ष को कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने एक सवाल पर कहा कि कांग्रेस को गैरसैंण का मुद्दा उठाने का अधिकार नहीं है और कांग्रेस कभी भी गैरसैंण को लेकर गंभीर नहीं रही है। भाजपा गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया है। ऐसे में कांग्रेस की सोच जगजाहिर है। भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों ने देहरादून में बजट सत्र आयोजित करने को लेकर पत्र दिया है। सरकार इन विधायकों के भावनाओं के आदर किया है। ऐसे में कांग्रेस गलतबयानी कर सुर्खियां बटोरना चाहती है।
डा.अग्रवाल ने कहा कि पहली प्राथमिकता जनता की विकास का है और इसमें वित्त आड़े नहीं आता है। जिन विभागों को बजट आवंटन किया गया था और उसे खर्च नहीं कर पाए,ऐसे विभागों के बजट में कटौती की जा रही है। खर्च करने वाले विभागों को लिए विकास के लिए धन की कमी नहीं होनी दी जाएगी।
आम जन से जुड़े ज्वलंत मुद्दों को विधानसभा में उठाएंगे : प्रीतम सिंह
पूर्व नेता प्रतिपक्ष और चकराता कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह का कहना है कि बजट सत्र में आम जनता से जुड़े ज्वलंत मुद्दों को विधानसभा में उठाएंगे। सरकार बजट सत्र को लंबा चालाएं। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा और विभागीय बजट पर चर्चा हो सके और प्रश्नकाल में अधिक से अधिक आमजन की समस्याओं को उठाया जा सके। कार्यमंत्रणा समिति से इस्तीफा देने की बात पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने भी सरकार पर कई गंभीर सवाल उठाए और कहा कि जब पिछले सत्र को ही जारी रखा गया तो संसदीय परंपराओं के तहत कार्य होना चाहिए। लेकिन सरकार बहुमत के आधार पर निर्णय की बात कहती है और कार्य संचालन नियमावली की भी अनदेखी की जाती है।