Tuesday, April 29, 2025

स्कूलों का स्थापना दिवस अवश्य मनाना चाहिए:मोदी

गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि स्कूलों का भी स्थापना दिवस मनाया जाना चाहिए जिससे अपनत्व की नयी शुरुआत होगी और संपर्क भी बढ़ेगा।

मोदी ने अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के 29वें द्विवार्षिक अधिवेशन “अखिल भारतीय शिक्षा संघ अधिवेशन” में कहा कि हर स्कूल को अपना स्थापना दिवस अवश्य मनाना चाहिए। भारत 21वीं सदी की आधुनिक आवश्कताओं के मुताबिक नयी व्यवस्थाओं का निर्माण कर रहा है। समाज में ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है, जिसमें लोग शिक्षक बनने के लिए स्वेच्छा से आगे आएं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, मातृभाषा में शिक्षण को बढ़ावा देती है। यह नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसी को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।

उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों के लिए अध्यापक, परिवार से बाहर वह पहला व्यक्ति होता है, जिसके साथ वह सबसे ज्यादा समय बिताता है। इसलिए सभी शिक्षकों में इस दायित्व का एहसास, भारत की आने वाली पीढ़ियों को बहुत मजबूत करेगा। प्रौद्योगिकी से सूचना मिल सकती है, लेकिन सही दृष्टिकोण नहीं मिल सकता। आज की पीढ़ी के विद्यार्थियों की जिज्ञासा,उनका कौतूहल, एक नयी चुनौती लेकर आयी है। ये विद्यार्थी आत्मविश्वास से भरे हैं। वे निडर हैं। उनका स्वभाव अध्यापक को चुनौती देता है कि वे शिक्षा के पारंपरिक तौर-तरीकों से बाहर निकलें।

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मोदी ने कहा कि गुजरात में शिक्षकों के साथ उनके जो अनुभव रहे, उसने राष्ट्रीय स्तर पर भी नीतियां बनाने में उनकी काफी मदद की है।

गुजरात राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में दूसरे दिन शुक्रवार को श्री मोदी ने शैक्षिक प्रदर्शनी का निरीक्षण भी किया। इस प्रदर्शनी में उनके द्वारा वर्ष 2001 से 2014 तक गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान शिक्षा क्षेत्र में आमूल परिवर्तन लाने के लिए किए गए कामकाज तथा राज्य में शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने के लिए उठाए गए क़दमों के संस्मरण चित्र प्रदर्शित किए गए। इनमें उनके द्वारा उस समय शिक्षा क्षेत्र में की गई विद्यालय प्रवेशोत्सव, गुणोत्सव, कन्या केलवणी (शिक्षा) रथयात्रा जैसी कुछ महत्वपूर्ण पहलें समाविष्ट हैं।

इसके साथ ही बनासकाँठा में आई भयावह बाढ़, पुलवामा आतंकवादी हमला, कोरोना काल में शिक्षकों द्वारा आयोजित रक्तदान शिविरों आदि महत्वपूर्ण घटनाओं के संस्मरण भी तस्वीरों के रूप में प्रदर्शित किए गए। इसके अलावा उनके द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को किए गए संबोधन के संस्मरण भी प्रस्तुत किए गए हैं। इसके साथ ही कार्यक्रम के दौरान एजुकेशन डॉक्यमेंटरी फ़िल्म भी प्रदर्शित की गयी।

इस तीन दिवसीय सम्मेलन में गुजरात सहित देशभर से प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे। इसके अतिरिक्त राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक हस्तियां और अंतरराष्ट्रीय यूनियन नेताओं ने भी इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, केन्द्रीय मत्स्योद्योग, पशुपालन एवं डेयरी उद्योग मंत्री परसोत्तम रूपाला, लोकसभा सांसद सी. आर. पाटिल, केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ महेन्द्रभाई मुंजपरा, गुजरात सरकार के मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय है कि गुजरात के गांधीनगर में गिफ़्ट सिटी के निकट स्थित निजानंद फ़ार्म में 11 से 13 मई तक अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के 29वें द्विवार्षिक शैक्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस बार के सम्मेलन की थीम ‘टीचर्स एट द हार्ट ऑफ़ ट्रांसफ़ॉर्मिंग एजुकेशन (शिक्षा में परिवर्तन लाने की प्रक्रिया के केन्द्र में शिक्षक) हैं।’

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